Showing posts with label सुनहरे. Show all posts
Showing posts with label सुनहरे. Show all posts

Sunday 8 November 2020

बंजारे

सारे हैं बंजारे, देखे जो ख्वाब तुम्हारे!

सोचा था, रख लूँगा, मन के घेरों में,
संजो लूँगा, कुछ तस्वीरें, ख्वाबों के डेरों में,
पर, खुश्बू थे वो सारे, 
निकले, बंजारे,
बहते, नदियों के धारे,
पवन झकोरे,
पल भर, वो कब ठहरे,
निर्झर नैनों में, ख्वाब सुनहरे!

सारे हैं बंजारे, देखे जो ख्वाब तुम्हारे!

बेचारा मन, भटके बेगानों के पीछे,
दौरे है बेसुध,आँखें मींचे, बंजारों के पीछे,
पर, ठहरे हैं कब बंजारे,
वो राहों के मारे,
बातों में, ढ़ल जाते सारे,
धुंथलाते तारे,
भोर प्रहर, वो कब ठहरे,
दीवाने नैनों में, ख्वाब सुनहरे!

सारे हैं बंजारे, देखे जो ख्वाब तुम्हारे!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)