है वो चेहरा या है शबनम!
हुए बेख्याल, बस यही सोचकर हम!
हाँ, वो कोई रंग बेमिसाल है!
यूं ही हमने रंग डाले,
हाँ, जिन्दगी सवाल में!
कई ख्याल आ रहे हैं, उन्हीं के ख्याल में!
वो रंग है या नूर है,
जो चढ़ता ही जाए, ये वो सुरूर है,
हाँ, वो कुछ तो जरूर है!
यूं ही हमने देख डाले,
हाँ, कई रंग ख्वाब में!
अनोखे हैं रंग कितने, उन्हीं के ख्याल में!
ये कैसे मैं भूल जाऊँ?
है बस ख्वाब वो, ये कैसे मान जाऊँ?
हाँ, कहीं वो मुझसे दूर है!
यूं ही उसने भेज डाले,
हाँ, कई खत ख्वाब में!
रंगीन हो चुके हैं खत, उन्हीं के ख्याल मे!
हाँ, वो नजरों में गए हैं उतर!
इन ख्यालों में, कहीं कर रहे हैं बसर!
वो रूप है या बस ख्याल है!
यूं ही हम सँवार डाले,
हाँ, कई ख्वाब ख्याल में!
कई ख्वाब देख डाले, हम यूं ही ख्याल में!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा