बड़ा ही, संगदिल सा, ये काफिला,
अपनी ही धुन चला!
कोई रुख मोड़ दो, इस सफर का,
या छोड़ दो, ये काफिला,
पलकों तले, रुक ना जाए ये सफर,
खत्म हो सिलसिला!
अनसुने से, धड़कनों के, गीत कितने,
बाट जोहे, बैठे, मीत कितने,
किनारों पर, अनछुए से प्रशीत कितने,
उन सबको, पहले लूं बुला,
चले, फिर काफिला!
शायद, मुझको संजोए, यादों में कोई,
बैठी कहीं, ख्यालों में खोई,
बुलाए मुझको, हरपल सपनों में कोई,
मीत वो ही, कोई ढ़ूंढ़ ला,
बढ़े, फिर काफिला!
जरा मैं, समझ लूं, हवाओं के इशारे,
सुन लूं धड़कनों के गीत सारे,
गूंज कर वादियाँ, मुझको क्यूं पुकारे,
यूं, रह जाए न कोई गिला,
चले, फिर काफिला!
कोई रुख मोड़ दो, इस सफर का,
या छोड़ दो, ये काफिला,
कहीं अनमना, ना हो चले सफर,
खत्म हो सिलसिला!
बड़ा ही, संगदिल सा, ये काफिला,
अपनी ही धुन चला!
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