Thursday 31 December 2015

सबसे प्यारा फूल

एक फूल है सबसे सुन्दर,
मन के बगिया में जो उपजा है
उस बगिया ने गुलाब भेजा है,
मन के अन्दर जो सदियों से सजा है,
हृदय मध्य ये सजे रहेंगे
प्राणों से सदा जुड़े रहेंगे,
प्रीत बिना ये मुरझा जाएंगे ।
प्रेमबगिया की मधुयादों को नववर्ष की ढेर सारी बधाई

समय और अनुबंध

अनुबंधों में हम बंध सकते हैे,
समय नही अनुबंधों में बंधता,
समय निरंकुश क्या बंध पाएगा,
अनुबंधों की परिधियां तोड़ता,
गंतव्य की ओर निकल जाएगा।

मानव विवश है समय सीमा में,
सुख-दुख दोनों समय के हाथों,
अनुबंध की शर्तें विवश समय मे,
समय सत्ता जो समझ पाएगा,
अनुबंधो के पार वही जा पाएगा।

जीवन नैया

मझधारों की धारा संग,
जीवन हिचकोले खाए,
इक क्षण उत ओर चले,
इक क्षण इस ओर आए।

तरने मे जीवन नैया सक्षम,
मझधार ही दिखे है अक्षम,
इक क्षण ये झकझोर चले,
इक क्षण कमजोर पड़़ जाए।

जीवन की सीमा अक्षुण्ण,
धार मझधार ही कुछ क्षण,
हर क्षण जीवन वार सहे,
क्षण क्षण मजिल ओर जाए।

एकाकी मन

एकाकी मन खग सा उड़े,
अंतहीन गगन मरूस्थल मे,
जाने किस तृष्णा ने घेरा,
प्रतिपल एकाकीपन मन मे।

मन एकाकी तृष्णाओं मध्य,
ज्युँ मरुस्थल तरु एकाकी,
राग उन्माद इसने फिर छेड़ा,
अचल एकाकीपन मन में।

तारों की मृगतृष्णाओं ने घेरा,
उड़ता ये सीमाहीन अनंत में,
युग बीते तन हुए अब जर्जर, 
तरुण एकाकीपन पर मन मे।

जो छोड़ गए हैं तन्हा

जो छोड़ गए हैं तन्हा,
वो पूछते हैं अक्सर, कैसे हो?
शायद! तन्हाई में कैसे जीता हूँ,
यही जानना चाहता है वो!

तो सुन लो...

नसों में रक्त प्रवाह है जारी,
धड़कनें अभी रुकी नही हैं,
सासों का प्रवाह निरंतर है,
हंदय मे कंपण अभी है शेष,
पलकें अब भी खुली हुई है,
आँखें देख पाती हैं नभ को,
कोशिकाएँ अभी मरी नही हैं।

जो छोड़ गए हैं तन्हा,
वो पूछते हैं अक्सर, कैसे हो?

तो और सुनो,

स्वर कानों मे अब भी जाते है,
स्पर्श महसूस कर सकता हूँ,
जिह्वा स्वाद ले पाती हैं...
सूरज का उगना देखता हूँ
सामने अस्त हो जाना भी,
जीवन देखता हूँ और मृत्यु भी,
नित्य क्रिया कर्म अभी है जारी।

जो छोड़ गए हैं तन्हा,
वो पूछते हैं अक्सर, कैसे हो?

जीवन साँसों से चलता है,
दिल धड़कते हैं स्नायु से,
तंत्रिकाएँ चलाती है सोंच को।

पर दिलों के एहसास....?

एहसास मर जाते हैं तन्हाई में,
एहसास का स्पंदन साथ ढूंढ़ता है प्रीत का।
वर्ना जीवन तिल-तिल मरता है।
साँसों के आने जाने से केवल,
जीवन कहाँ चलता है?

उसने खून किया जीवन का,
तन्हाई मे जिसने भी छोड़ा,
पर साथ निभाता कौन अन्त तक,
मृत्यु से पहले .....!
सांसे तन्हा छोड़ जाती तन को,
शरीर छोड़ जाता है तन्हा मन को।

जो छोड़ गए हैं तन्हा,
वो पूछते हैं अक्सर, कैसे हो?

यादों के फूल

फूल यादों के खिलते रहेंगे सदा,
यादों की बन जाएंगी लड़ियाँ,
कुछ सूखे कुछ हरे-भरे पत्तों से,
मानस पटल पर उभर अनमने से,
कुछ सुख-कुछ दुख की अनुभूतियाँ।

बीती-बातों की खुल जाएंगी परतें,
आँखों मे होगा हर गुजरा मंजर,
परत दर परत शायद वो गहराए,
कुछ याद आए, कुछ विसरा जाए,
कुछ आशा-कुछ निराशा के प्रस्तर।

जीवन की राहें गुजरती यादों संग,
कुछ यादें मीठी क्युँ न छोड़ जाए हम़,
जो प्रखेरे आशाओं के रश्मि किरण,
यादें ऐसी जो आँखों मे प्रीत भर दे,
कुछ आस जगाएं नयनों को कर जाए नम।

Wednesday 30 December 2015

जल उठे है मशाल

जल उठे असंख्य मशाल,
शांति, ज्योति, प्रगति के,
उठ खड़े हुए अनन्त हाथ,
प्रशस्त मार्ग हुए उन्नति के।

अनन्त काल जलें मशाल,
अन्त असीम रात्रि-तम हो,
सामने हो प्रखर प्रशस्त प्रहर,
भय दूर हुए जिंदगी के।

ग्यान का उन्नत प्रकाश हो,
अशांति, अचेतन, क्लेश घटे,
धरा पे फैले चांदनी की लहर,
पू्र्ण कामना हुए मानवों के।