Friday 26 February 2016

मंजिलें और हैं!

अवकाश नौकरी से मिली, जिन्दगी से नहीं,
जिन्दगी तो अब शुरू, थके मेरे कदम नहीं।

अभी थका नहीं हूँ मैं, उमर अभी ढ़ली नहीं,
बढ़ती हुई दीवानगी, उम्र की अभी शुरू हुई।

थक जाते हैं वो, जिनमें चाह जीने की नहीं,
रुक जाते हैं वो कदम, लड़खड़ाते जो नहीं।

जीवन की मुश्किलों से, जो कभी लड़ा नहीं,
थक गया वो शख्स, जो राह टेढ़ी चढ़ा नहीं।

थकते नहीं वे कदम, हिम्मत जिनके पास है,
मंजिलों पे पहुचोगे तुम, हौसला गर साथ है।

नसें अभी है तनीं हुई, वानगी अभी शुरू हुई,
सपने अधूरे जो मेरे, बनेगी वो हकीकत मेरी।

तकदीर

तकदीर! 
खेल क्या से क्या दिखाती है तक्दीर ये,
रहती है उम्र भर साथ साथ तक्दीर ये,
छल आप ही से कर जाती है तक्दीर ये।

बेपनाह चाहते इस तकदीर को हम और आप,
उम्र भर हाथों की लकीरों मे ये साथ साथ, 
लेकिन, करवटें बदल सो जाती है ये चुपचाप।

हवाओं की भी अजब सियासते हैं यहाँ,
तकदीर की बुझी राख को भड़का देती यहाँ,
कही चमकते तकदीर को बुझा देती ये हवा।

कुछ इस तरह तकदीर को अपनाया है मैंने,
पेशानी की लकीरों मे इसको बिठाया है मैंने,
जो तकदीर में नहीं, उसे भी बेपनाह चाहा है मैंने..!

Thursday 25 February 2016

तुुम मैं होती, मैं तुम होता

कभी सोचता हूँ!
मैं मैं न होता, तेरा आईना होता!
तो क्या क्या होता इस मन में?
क्या गुजरती तुझपर मुझपर जीवन में?

तुम देखती मुझमें अक्श अपना,
हर पल होती समीक्षा जीवन की मेरी,
तेरे आँसूँ बहते मेरी इन आँखों से,
तुम हँसती संग मैं भी हँस लेता,
रूप तेरा देखकर कुछ निखर मैं भी जाता,
मेरा साँवला रंग थोड़ा गोरा हो जाता।

कभी सोचता हूँ!
तुम तुम न होती, मेरी प्रतीक्षा होती!
तो क्या क्या घटता उस पल में?
क्या गुजरती तुझपर मुझपर जीवन में?

द्वार खड़ी तुम देखती राह मेरी,
मैं दूर खड़ा दैेखता मुस्काता,
इन्तजार भरे उन पलों की दास्ताँ,
तेरी बोली में सुनता जाता,
खुश करने को तुम्हें वापस जल्दी आता,
मैं पल पल इंतजार के तौलता।

कभी सोचता हूँ! तुुम मैं होती, मैं तुम होता....

एक बार जो तुम कह देती

प्रिये, एक बार जो तुम कह देती, तो मैं रुक जाता!

प्रिये, तुम मेरी आस, तुम जन्मों की प्यास,
बुझाने जन्मों की प्यास, तेरी पनघट ही मैं आता,
राही तेरी राहों का मैं, और कहीं क्युँ जाता,
राह देखती तुम भी अगर, मैं भी तेरा हो जाता।

प्रिये, एक बार जो तुम कह देती, तो मैं रुक जाता!

तुमसे ही चलती ये सांसे, तुम पर ही विश्वास,
सासें जीवन की लेने, तेरी बगिया ही मैं आता,
टूटे हृदय का यह मृदंग, तेरे लिए बजाता,
गीत मेरे तुम भी सुन लेती, तो मैं तेरा हो जाता।

प्रिये, एक बार जो तुम कह देती, तो मैं रुक जाता!

कह देती तुम गर, बात कभी अपने मन की,
उम्मीद लिए यही मन में, मैं तेरी राह खड़ा था,
यूं दामन उम्मीद का, कहाँ कभी छोड़ा था,
यूँ ही चल पड़ा था मैं, तुमने भी कब रोका था।

प्रिये, एक बार जो तुम कह देती, तो मैं रुक जाता!

अनुभव मीठे हो जाते!

अनुभव मीठे हो जाते, तुम साथ अगर दे देते।
राह सरल हो जाता, तुम साथ अगर दे देते।

उबड़ खाबर इन रास्तों पर,
दूभर सा लगता जीवन का सफर,
पीठ अकड़ सी जाती यहाँ,
टूट जाते है अच्छे-अच्छों के कमर।

सफर सरल हो जाता, तुम साथ अगर दे देते।
अनुभव मीठे हो जाते, तुम साथ अगर दे देते।

टेढे मेढे रास्ते ये जीवन के,
अनुभव कुछ खट्टे मीठे मिलेजुले से,
तीते लगते कुछ फल बेरी के,
दाँत कटक जाते हैं अच्छे-अच्छों के।

अनुभव मीठे हो जाते, तुम साथ अगर दे देते।
सफर सरल हो जाता, तुम साथ अगर दे देते।

गीत वही तुम दोहराओ ना!

मन मेरा मुखरित कर जाती, संगीत नई तुम जब गाती।

मन मेरा आज विकल गीत कोई तुम गाती,
गीत वही मैं सुन लेता जो तुम मन से गाती,
राग मुखर मैं भी करता जो तुम संग दुहराती,
गीत मधुर मैं गा पाता जो तुम संग संग गाती।

मन मेरा पुलकित हो जाता, आज संगीत कोई तुम गाती।

मेरे जीवन की वीणा है अब हाथों मे तेरे,
कितने ही मधु संगीत संग संग हमने हैं छेड़े,
तुम गाती जो संगीत मन खिल उठते मेरे,
आज कोई गीत नई, संग दोहराओ तुम मेरे।

मन मेरा पुलकित कर जाओ, गीत कोई तुम छेड़ो ना।

जीवन, मरण, कुछ दोनों के ही हैं हम साथी,
इस वीणा की संगीत अधूरी गीत कोई तुम गाती,
आरम्भ तुम्ही से जीवन का अंत तुम्ही कर जाती,
उदास पलों मे जीवन के गीत वही तुम दोहराती।

जीवन को तुम मुखरित कर दो, संगीत मेरे संग छेड़ो ना।

बूँद एक स्पर्श कर गई

बूँद एक स्पर्श कर गई,
रूह के अन्त:स्थ को छू गई,
स्निग्ध मन के तार छेड़ गई,
इक रेशमी एहसास दे गई।

बूँद वो नन्ही सी कितनी,
सुकोमल पंखुड़ी सी जितनी,
क्षण भर की ही उम्र उसकी,
इच्छाएँ भरी मन में कितनी।

टूट टूट बिखरती धरा पर,
बूँद बूँद आह्लादित होती पर,
कलियों संग बूँद रही निखर,
खुले तृण के केश हो प्रखर।

बूँद बूँद मिल बनती सरिता,
अस्तित्व विलीन कर खुश होती,
मिट जाती प्रकृति प्रेम में वो,
बूँद बूँद अब लब्जों की कविता।