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Sunday 8 May 2016

बेकरारियाँ

अब कहाँ दिखते हैं वो बेकरारियाें के पल,
जाम हसरतों के लिए कभी दूर वो जाते थे निकल,
क्या रंग बदले हैं मौसम ने, अब वो भी गए हैं बदल?

पल वो मचलता था उन बेकरारियों के संग,
अंगड़ाईयाँ लेती थी करवटें उनकी यादों के संग,
अब बिखरा है वो पल कहीं, क्या वो भी रहे हैं बिखर?

सुलग रही चिंगारियाँ, हसरतों के लगे हैं पर,
जल रही आज बेकरारियाँ, पर वो तो हैं बेखबर,
हम तो वो मौसम नहीं, यहाँ रोज ही जाते है जो बदल!

क्या अब भी है वहाँ बेकरारियाें के बादल?
सोंचता है ये बेकरार दिल आज फिर होके विकल!
भले रंग बदले हैं मौसमों ने, नेह नही सकता है बदल!

Tuesday 22 March 2016

एहसास एक गहराता हर पल

एहसास एक गहराता हर पल,
निर्जन तालाब में जैसे ठहरा शांत जल,
खामोशी टूटती तभी जब फेकता कोई कंकड़।

कभी कभी ये एहसास उठते मचल,
वियावान व्योम मे जैसे घुमरता मंडराता बादल,
खामोशी टूटती है तभी जब लहराता उसका आँचल।

एहसासों के पर कभी आते निकल,
तेज हवा के झौंकों मे जैसे पत्तियों के स्वर,
खामोशी टूटती है तभी जब छा जाता है पतझड़।

आशाएँ एहसास की कितनी विकल,
सपनों की नई दुनियाँ मे रोज ही आता निकल,
खामोशी टूटती है तभी जब बिखरते सपनों के शकल।

एहसास एक गहराता हर पल........,!

Thursday 25 February 2016

गीत वही तुम दोहराओ ना!

मन मेरा मुखरित कर जाती, संगीत नई तुम जब गाती।

मन मेरा आज विकल गीत कोई तुम गाती,
गीत वही मैं सुन लेता जो तुम मन से गाती,
राग मुखर मैं भी करता जो तुम संग दुहराती,
गीत मधुर मैं गा पाता जो तुम संग संग गाती।

मन मेरा पुलकित हो जाता, आज संगीत कोई तुम गाती।

मेरे जीवन की वीणा है अब हाथों मे तेरे,
कितने ही मधु संगीत संग संग हमने हैं छेड़े,
तुम गाती जो संगीत मन खिल उठते मेरे,
आज कोई गीत नई, संग दोहराओ तुम मेरे।

मन मेरा पुलकित कर जाओ, गीत कोई तुम छेड़ो ना।

जीवन, मरण, कुछ दोनों के ही हैं हम साथी,
इस वीणा की संगीत अधूरी गीत कोई तुम गाती,
आरम्भ तुम्ही से जीवन का अंत तुम्ही कर जाती,
उदास पलों मे जीवन के गीत वही तुम दोहराती।

जीवन को तुम मुखरित कर दो, संगीत मेरे संग छेड़ो ना।