मन मेरा मुखरित कर जाती, संगीत नई तुम जब गाती।
मन मेरा आज विकल गीत कोई तुम गाती,
गीत वही मैं सुन लेता जो तुम मन से गाती,
राग मुखर मैं भी करता जो तुम संग दुहराती,
गीत मधुर मैं गा पाता जो तुम संग संग गाती।
मन मेरा पुलकित हो जाता, आज संगीत कोई तुम गाती।
मेरे जीवन की वीणा है अब हाथों मे तेरे,
कितने ही मधु संगीत संग संग हमने हैं छेड़े,
तुम गाती जो संगीत मन खिल उठते मेरे,
आज कोई गीत नई, संग दोहराओ तुम मेरे।
मन मेरा पुलकित कर जाओ, गीत कोई तुम छेड़ो ना।
जीवन, मरण, कुछ दोनों के ही हैं हम साथी,
इस वीणा की संगीत अधूरी गीत कोई तुम गाती,
आरम्भ तुम्ही से जीवन का अंत तुम्ही कर जाती,
उदास पलों मे जीवन के गीत वही तुम दोहराती।
जीवन को तुम मुखरित कर दो, संगीत मेरे संग छेड़ो ना।
मन मेरा आज विकल गीत कोई तुम गाती,
गीत वही मैं सुन लेता जो तुम मन से गाती,
राग मुखर मैं भी करता जो तुम संग दुहराती,
गीत मधुर मैं गा पाता जो तुम संग संग गाती।
मन मेरा पुलकित हो जाता, आज संगीत कोई तुम गाती।
मेरे जीवन की वीणा है अब हाथों मे तेरे,
कितने ही मधु संगीत संग संग हमने हैं छेड़े,
तुम गाती जो संगीत मन खिल उठते मेरे,
आज कोई गीत नई, संग दोहराओ तुम मेरे।
मन मेरा पुलकित कर जाओ, गीत कोई तुम छेड़ो ना।
जीवन, मरण, कुछ दोनों के ही हैं हम साथी,
इस वीणा की संगीत अधूरी गीत कोई तुम गाती,
आरम्भ तुम्ही से जीवन का अंत तुम्ही कर जाती,
उदास पलों मे जीवन के गीत वही तुम दोहराती।
जीवन को तुम मुखरित कर दो, संगीत मेरे संग छेड़ो ना।
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