हर क्षण कण-कण मेरी याद दिलाएंगे......
वो सूनी राहें, वो बलखाते से पल,
बहते से लम्हे, ये हवाएं चंचल,
वो टूटे पत्ते, वो बिखरा सा आँचल,
यूं मुझमें खो जाओगे तुम,
बहते लम्हों संग, उड़ आओगे तुम,
मौसम के रंग बदलेंगे,
घटा घनघोर जमकर बरसेंगे,
भिगाएंगे, मन विरहाकुल कर जाएंगे....
हर क्षण कण-कण मेरी याद दिलाएंगे......
उड़-उड़कर कागा मुंडेरे पे आएंगे,
काँव-काँव कर संदेशे लाएंगे,
अकुलाहट आने की ये दे जाएंगे,
सोचोगे, राह तकोगे तुम,
सूनी राहों के पदचाप गिनोगे तुम,
कागा फिर फिर आएंगे,
मुंडेर चढ़ गाएंगे, चिढाएंगे,
तरसाएंगे, मन आकुल कर जाएंगे....
हर क्षण कण-कण मेरी याद दिलाएंगे......
कुहू-कुहू कोयल झुरमुट में गाएगी,
छुप-छुप विरहा ये सुनाएंगी,
यादें मेरी लेकर वो भी आएंगी,
मन ही मन, गाओगे तुम,
कुछ गीत मेरे, यूं दोहराओगे तुम,
सूने नैने छलक आएंगे,
कोयल, रुक-रुककर गाएंगे,
जलाएंगे, मन व्याकुल कर जाएंगे....
हर क्षण कण-कण मेरी याद दिलाएंगे......
वो सूनी राहें, वो बलखाते से पल,
बहते से लम्हे, ये हवाएं चंचल,
वो टूटे पत्ते, वो बिखरा सा आँचल,
यूं मुझमें खो जाओगे तुम,
बहते लम्हों संग, उड़ आओगे तुम,
मौसम के रंग बदलेंगे,
घटा घनघोर जमकर बरसेंगे,
भिगाएंगे, मन विरहाकुल कर जाएंगे....
हर क्षण कण-कण मेरी याद दिलाएंगे......
उड़-उड़कर कागा मुंडेरे पे आएंगे,
काँव-काँव कर संदेशे लाएंगे,
अकुलाहट आने की ये दे जाएंगे,
सोचोगे, राह तकोगे तुम,
सूनी राहों के पदचाप गिनोगे तुम,
कागा फिर फिर आएंगे,
मुंडेर चढ़ गाएंगे, चिढाएंगे,
तरसाएंगे, मन आकुल कर जाएंगे....
हर क्षण कण-कण मेरी याद दिलाएंगे......
कुहू-कुहू कोयल झुरमुट में गाएगी,
छुप-छुप विरहा ये सुनाएंगी,
यादें मेरी लेकर वो भी आएंगी,
मन ही मन, गाओगे तुम,
कुछ गीत मेरे, यूं दोहराओगे तुम,
सूने नैने छलक आएंगे,
कोयल, रुक-रुककर गाएंगे,
जलाएंगे, मन व्याकुल कर जाएंगे....
हर क्षण कण-कण मेरी याद दिलाएंगे......
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 24 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत रचना।
ReplyDeleteसुन्दर
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