Thursday, 21 March 2019

होली 2019

ऐसे न मैं गुनगुनाता,
न रंग कोई, आँखोँ पे सजाता,
गर मेरे ख्वाब, आँचल में तुम ना संजोते!

ऐसा ना धा, कभी ये गगन सतरंगा,
ऐसा न था, पवन रंगा-रंगा,
ये होली के रंग, सतरंगी ना होते,
गर फागुन के इन रंगो में, तुम भीगे ना होते!

ये फगुनाहट, ये मौसम का पहरा,
वक्त है जरा, ठहरा-ठहरा,
मौसम के घूंघट, बासंती ना होते,
इन मदमस्त पलो में , गर तुम ना मिले होते!

ऐसा न था, रंग कभी अम्बर का,
ऐसा न था, चाल गगन का,
अम्बर के, वितान प्रखर ना होते,
गर इनके विस्तार, बाहों में तुम ना भर लेते!

शब्द होता, कहीं बिखरा-बिखरा,
घुन होता, यूँ उखरा-उखरा,
सुरों में, न साधना के स्वर सधते,
गर ये गीत मेेेरे, तुम सप्तसुरो में ना पिरोते!

ऐसे न मैं गुनगुनाता,
न गीत कोई, होठों पे सजाता,
गर मेरे ख्वाब, आँचल में तुम ना संजोते!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा

10 comments:

  1. समस्त पाठक मित्रों को होली की शुभकामनायें । रंगो भरा यह त्योहार आपका जीवन विविध खुशियों के रंगों से भर दे।

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  2. सुन्दर। शुभकामनाएं होली पर।

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    1. आदरणीय सुशील जोशी जी, होली की शुभकामनाएं स्वीकार करें ।

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (22-03-2019) को "होली तो होली हुई" (चर्चा अंक-3282) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    होलिकोत्सव की हार्दिक शुभकामनाऔं के साथ-
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. उन्हें संजोये बिना तो कुछ भी मुमकिन नहीं होता ...
    जीवन के हर रंग का रस है उनमें ...
    सुन्दर कविता ....

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    1. आदरणीय नसवा जी, होली की शुभकामनाएं स्वीकार करें ।

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  5. बहुत सुंदर रचना....आप को होली की शुभकामनाएं...

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    1. आदरणीय प्रसन्नवदन जी, होली की शुभकामनाएं स्वीकार करें । स्वागत है आपका।

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  6. वाह बहुत सुंदर रचना आदरणीय सर
    सादर नमन

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    1. शुक्रिया आदरणीया आँचल जी। स्वागत है आपका इस पटल पर।

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