कर क्षणिक अनुराग, वो भँवरा ले उड़ा पराग....
दो छंदों का यह कैसा राग?
न आरोह, न अनुतान, न आलाप,
बस आँसू और विलाप.....
ज्यूँ तपती धरती पर,
छन से उड़ जाती हों बूंदें बनकर भाफ,
बस तपन और संताप....
यह कैसा राग-विहाग, यह कैसा अनुराग?
कर क्षणिक अनुराग, वो भँवरा ले उड़ा पराग....
गीत अधुरी क्यूँ उसने गाई,
दया तनिक भी फूलों पर न आई,
वो ले उड़ा पराग....
लिया प्रेम, दिया बैराग,
ओ हरजाई, सुलगाई तूने क्यूँ ये आग?
बस मन का वीतराग.....
यह कैसा राग-विहाग, यह कैसा अनुराग?
कर क्षणिक अनुराग, वो भँवरा ले उड़ा पराग....
सूना है अब मन का तड़ाग,
छेड़ा है उस बैरी ने यह कैसा राग!
सुर विहीन आलाप....
बे राग, प्रीत से विराग,
छम छम पायल भी करती है विलाप,
बस विरह का सुहाग.....
यह कैसा राग-विहाग, यह कैसा अनुराग?
कर क्षणिक अनुराग, वो भँवरा ले उड़ा पराग....
(मेरी ही, एक पुरानी रचना पुनःउद्धृत)
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
दो छंदों का यह कैसा राग?
न आरोह, न अनुतान, न आलाप,
बस आँसू और विलाप.....
ज्यूँ तपती धरती पर,
छन से उड़ जाती हों बूंदें बनकर भाफ,
बस तपन और संताप....
यह कैसा राग-विहाग, यह कैसा अनुराग?
कर क्षणिक अनुराग, वो भँवरा ले उड़ा पराग....
गीत अधुरी क्यूँ उसने गाई,
दया तनिक भी फूलों पर न आई,
वो ले उड़ा पराग....
लिया प्रेम, दिया बैराग,
ओ हरजाई, सुलगाई तूने क्यूँ ये आग?
बस मन का वीतराग.....
यह कैसा राग-विहाग, यह कैसा अनुराग?
कर क्षणिक अनुराग, वो भँवरा ले उड़ा पराग....
सूना है अब मन का तड़ाग,
छेड़ा है उस बैरी ने यह कैसा राग!
सुर विहीन आलाप....
बे राग, प्रीत से विराग,
छम छम पायल भी करती है विलाप,
बस विरह का सुहाग.....
यह कैसा राग-विहाग, यह कैसा अनुराग?
कर क्षणिक अनुराग, वो भँवरा ले उड़ा पराग....
(मेरी ही, एक पुरानी रचना पुनःउद्धृत)
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
सुन्दर
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय ।
Deleteछन से उड़ जाती हो बूंदे बनकर भाप
ReplyDeleteबस तपन और संताप ,ये कैसा राग विहाग
सुंदर सृजन
सादर आभार आदरणीया
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीया
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (24-03-2019) को "चमचों की भरमार" (चर्चा अंक-3284) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर आभार आदरणीय
Deletebahut hi badhiya post likha hai aapne Windows 7 window 8 windows 10 download Kaise Kare
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय । स्वागत है आपका इस पटल पर।
DeleteiAMHJA
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय । स्वागत है आपका इस पटल पर।
DeleteWith all respect, I welcome you on my BLOG. Please keep visiting.
वो ले उड़ा पराग....
ReplyDeleteलिया प्रेम, दिया बैराग,
बहुत ही सुन्दर.... क्षणिक अनुराग..
सादर आभार आदरणीय सुधा देवरानी जी।
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