Sunday 8 September 2019

मेरी रचना

समर्पित थी, कुछ रचनाएँ रंगमंच पर!
नव-कल्पना के, चित्र-मंच पर!
चाहत थी, पंख लेकर उड़ जाना!
नाप जाना, उन ऊंचाईयों को!
कल्पनाओं के परे, रहीं अब तक जो,
करती दृढ़-संकल्प और विवेचना!
निकल पड़ी थी, ढ़ेरों रचना!

लगता था उन्हें, क्या कर लेगी रचना?
अभी, ये सीख रही है चलना!
आसान है, इन्हें पथ से भटकाना!
नवजात शिशु सी मूक है जो!
बस किलकारी ही भर सकती है वो!
करना है क्या, इनसे कोई मंत्रणा?
छल से आहत, हुई ये रचना?

भूले थे वो, कि सशक्त व प्रखर हैं ये!
कह देती हैं ये, सब बिन बोले,
है मुश्किल, इन्हें पथ से भटकाना!
उतरती हैं, ये चल कर दिल में,
खामोश कहाँ रहती हैं, ये महफिल में,
शब्द-शब्द इनकी, करती है गर्जना,
जब हुंकार, भरती हैं रचना!

रहीं है मानवता, रचनाओं के वश में,
घर कर जाती हैं, ये अन्तर्मन में,
मन की राह, चाहती हैं ये रह जाना!
अनवरत प्रवाह, बन बह जाना,
छलक कर नैनों में, भावों में उपलाना,
सह कर, प्रसव की असह्य वेदना,
पुनः जन्म, ले लेती है रचना!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा

13 comments:

  1. बेहतरीन रचना आदरणीय 🙏

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    1. प्रेरक शब्दों हेतु धन्यवाद आदरणीया ।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (09-09-2019) को    "सोच अरे नादान"    (चर्चा अंक- 3453)   पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. सुंदर सृजन आदरणीय सर
    सादर नमन

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    1. शुभकामनाओं व प्रेरक शब्दों हेतु धन्यवाद ।

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  4. वाह बहुत सुंदर आपकी रचना।
    हृदय के उद्गार की है संरचना।

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    1. सादर नमन। सदा ही स्वागत है पटल पर आपका

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  5. बहुत ही सुन्दर सृजन आदरणीय
    सादर

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया अनीता जी ।

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  6. रहीं है मानवता, रचनाओं के वश में,
    घर कर जाती हैं, ये अन्तर्मन में,
    मन की राह, चाहती हैं ये रह जाना!...वाह स‍िन्हा साहब .. बहुत खूब ल‍िखा

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय अलकनंदा जी।

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  7. भूले थे वो, कि सशक्त व प्रखर हैं ये!
    कह देती हैं ये, सब बिन बोले,
    है मुश्किल, इन्हें पथ से भटकाना!
    उतरती हैं, ये चल कर दिल में,
    खामोश कहाँ रहती हैं, ये महफिल में,
    शब्द-शब्द इनकी, करती है गर्जना,
    जब हुंकार, भरती हैं रचना!... बेहतरीन रचना आदरणीय

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