Showing posts with label मकरूक. Show all posts
Showing posts with label मकरूक. Show all posts

Saturday, 11 May 2019

मशकूक

तन के कंपन, ये हृदय के स्पंदन,
है उनके ही कारण....

हम तो बस, मशकूक हैं,
निशाने, उनकी नजर के अचूक हैं,
उनके ही मकरूक हैं,
उनकी ही, ख्वाब में मशरूफ हैं,
महसूस करता हूँ, मैं अपनी धड़कन,
उनके ही कारण....

हर तरफ, हैं उनके नजारे,
बन कर पवन, छू ले, वो ही पुकारे,
वहाँ, जो वो न होते,
न होते, स्पंदन उन वादियों में, 
धड़कती है ये धड़कनें, गूंज बनकर,
उनके ही कारण.....

नेकियां, सब उसने किए,
यहाँ मशकूक तो, बस हम ही हुए,
पहले थे गुमनाम हम,
चर्चे मेरी नाम के, अब आम हैं,
नजर में उनकी भी, हम बदनाम हैं,
उनके ही कारण....

तन के कंपन, ये हृदय के स्पंदन,
है उनके ही कारण....

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा