खाली सा,
कोई कोना तो होगा मन का!
तेरा ही मन है,
लेकिन!
बेमतलब, मत जाना मन के उस कोने,
यदा-कदा, सुधि भी, ना लेना,
दबी सी, आह पड़ी होगी,
बरस पड़ेगी!
दर्द, तुझे ही होगा,
चाहो तो,
पहले,
टटोह लेना,
उजड़ा सा, तिनका-तिनका!
खाली सा,
कोई कोना तो होगा मन का!
तेरा ही दर्पण है,
लेकिन!
टूटा है किस कोने, जाना ही कब तूने,
मुख, भूले से, निहार ना लेना!
बिंब, कोई टूटी सी होगी,
डरा जाएगी!
पछतावा सा होगा,
चाहो तो,
पहले,
समेट लेना,
बिखरा सा, टुकड़ा-टुकड़ा!
खाली सा,
कोई कोना तो होगा मन का!
सुनसान पड़ा ये,
लेकिन!
विस्मित तेरे पल को, संजोया है उसने,
संज्ञान, कभी, उस पल की लेना!
गहराई सी, वीरानी तो होगी,
चीख पड़ेगी!
पर, एहसास जगेगा,
चाहो तो,
पहले,
संभाल लेना,
सिमटा सा, मनका-मनका!
खाली सा,
कोई कोना तो होगा मन का!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)