Sunday, 22 November 2020

खाली कोना

खाली सा, 
कोई कोना तो होगा मन का!

तेरा ही मन है, 
लेकिन!
बेमतलब, मत जाना मन के उस कोने,
यदा-कदा, सुधि भी, ना लेना,
दबी सी, आह पड़ी होगी,
बरस पड़ेगी!
दर्द, तुझे ही होगा,
चाहो तो,
पहले,
टटोह लेना,
उजड़ा सा, तिनका-तिनका!

खाली सा, 
कोई कोना तो होगा मन का!

तेरा ही दर्पण है, 
लेकिन!
टूटा है किस कोने, जाना ही कब तूने,
मुख, भूले से, निहार ना लेना!
बिंब, कोई टूटी सी होगी,
डरा जाएगी!
पछतावा सा होगा,
चाहो तो,
पहले, 
समेट लेना,
बिखरा सा, टुकड़ा-टुकड़ा!

खाली सा, 
कोई कोना तो होगा मन का!

सुनसान पड़ा ये, 
लेकिन!
विस्मित तेरे पल को, संजोया है उसने,
संज्ञान, कभी, उस पल की लेना!
गहराई सी, वीरानी तो होगी,
चीख पड़ेगी!
पर, एहसास जगेगा,
चाहो तो,
पहले, 
संभाल लेना,
सिमटा सा, मनका-मनका!

खाली सा, 
कोई कोना तो होगा मन का!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)

20 comments:

  1. बहुत सही..।सुंदर पंक्तियाँ...।

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 24 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा मंगलवार ( 24-11-2020) को "विश्वास, प्रेम, साहस हैं जीवन के साथी मेरे ।" (चर्चा अंक- 3895) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।

    "मीना भारद्वाज"

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  4. बहुत सुंदर रचना।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय जोशी जी।

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  6. विस्मित करती हुई ...अति सुन्दर ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया अमृता तन्मय जी।

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  7. बेमतलब, मत जाना मन के उस कोने,
    यदा-कदा, सुधि भी, ना लेना,
    दबी सी, आह पड़ी होगी,
    बरस पड़ेगी!---- बहुत सुन्दर |

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  8. बेमतलब, मत जाना मन के उस कोने,
    यदा-कदा, सुधि भी, ना लेना,
    दबी सी, आह पड़ी होगी,
    बरस पड़ेगी!
    दर्द, तुझे ही होगा...बहुत सुंदर सृजन।

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  9. खाली सा,
    कोई कोना तो होगा मन का!

    तेरा ही मन है,
    लेकिन!
    बेमतलब, मत जाना मन के उस कोने,......बहुत सही!

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    1. शुक्रिया आदरणीया ॠतु शेखर जी। स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर।

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