दिल दुखे न कभी उनका अब, चलो हम यूँ करते हैं.....
लेकर उनकी हाथों को अपनी हाथों में,
महसूस उन नब्जों की सिहरन को हम करते हैं,
धड़कनें नाजुक सी धड़कती है सीने में,
उसके धड़कन की आवर्तों को चलो गिनते हैं,
दिल दुखे न कभी उनका अब, चलो हम यूँ करते हैं.....
सागर नीले गहरे कितने हैं उन आँखों में,
उस नील-समुन्दर की गहराई में हम उतरते हैं,
स्नेहमई नीर बहते हैं उनकी आँखों से,
स्नेह के उन मोतियों से चलो दामन भरते हैं,
दिल दुखे न कभी उनका अब, चलो हम यूँ करते हैं.....
थाली पूजा की सजाई है उसने हाथों में,
श्रद्धा के फूलों से हम उस थाली को भरते हैं,
माँग को सजाया है उसने कुमकुम से,
सिन्दूर रंगी उस मांग को चलो तारों से भरते हैं,
दिल दुखे न कभी उनका अब, चलो हम यूँ करते हैं.....
नुकीले काटें कितने ही हैं उनके दामन में,
ममतामई उस दामन को हम फूलों से भरते हैं,
कदम-कदम पर धोखे ही खाए हैं उसने,
विश्वास के अंतहीन कदम चलो अब संग भरते हैं,
दिल दुखे न कभी उनका अब, चलो हम यूँ करते हैं.....
लेकर उनकी हाथों को अपनी हाथों में,
महसूस उन नब्जों की सिहरन को हम करते हैं,
धड़कनें नाजुक सी धड़कती है सीने में,
उसके धड़कन की आवर्तों को चलो गिनते हैं,
दिल दुखे न कभी उनका अब, चलो हम यूँ करते हैं.....
सागर नीले गहरे कितने हैं उन आँखों में,
उस नील-समुन्दर की गहराई में हम उतरते हैं,
स्नेहमई नीर बहते हैं उनकी आँखों से,
स्नेह के उन मोतियों से चलो दामन भरते हैं,
दिल दुखे न कभी उनका अब, चलो हम यूँ करते हैं.....
थाली पूजा की सजाई है उसने हाथों में,
श्रद्धा के फूलों से हम उस थाली को भरते हैं,
माँग को सजाया है उसने कुमकुम से,
सिन्दूर रंगी उस मांग को चलो तारों से भरते हैं,
दिल दुखे न कभी उनका अब, चलो हम यूँ करते हैं.....
नुकीले काटें कितने ही हैं उनके दामन में,
ममतामई उस दामन को हम फूलों से भरते हैं,
कदम-कदम पर धोखे ही खाए हैं उसने,
विश्वास के अंतहीन कदम चलो अब संग भरते हैं,
दिल दुखे न कभी उनका अब, चलो हम यूँ करते हैं.....
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