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Friday, 26 January 2018

हे ईश्वर

हे ईश्वर! कर मेरी प्रार्थना स्वीकार...
मत देना तुम मुझको, ऐसा कोई प्रभात!

बिन बात जहाँ, बढ जाती हो विवाद,
बिन पतझड़ ही, बिखर जाते हों पात,
बादल के रहते, सूखी सी हो बरसात,
खुशियों के पल, मन में हो अवसाद....

हे ईश्वर! कर मेरी प्रार्थना स्वीकार....
मत देना तुम मुझको, ऐसी कोई भी रात!

सितारों बिन जहाँ, सूना हो आकाश,
बिन जुगनू जहाँ, अंधेरा हो ये प्रकाश,
एकाकीपन हो, मृत हो मन के आश,
ये राहें ओझल हो, खोया हो उल्लास...

हे ईश्वर! कर मेरी प्रार्थना स्वीकार.....
मत देना तुम मुझको, ऐसा कोई भी पल!

बिन जीवन संगी, साँसे हो बोझिल,
बिन हमराही के, ये राहें हो मुश्किल,
अकेलापन हो, गम में हो महफिल,
जग के मेले में, तन्हाई हो हासिल...

हे ईश्वर! कर मेरी प्रार्थना स्वीकार.....
मत देना तुम मुझको, ऐसा कोई विषाद!

Wednesday, 7 September 2016

बनफूल

बनफूल..उग आया था एक, मेरे बाग के कोने में कहीं।

चुपचाप ही! अचानक!...न जाने कब से..!
आया वो....न जाने कहाँ से..., किस घड़ी में.....
पड़ी जब मेरी नजर पहली बार उसपर,
मुस्कुराया था खुशी से वो बनफूल, मुझे देखकर...
जैसे था उसे इन्तजार मेरा ही कहीं ना कहीं....!

बनफूल..उग आया था एक, मेरे बाग के कोने में कहीं।

अपनत्व सी जगी उस मासूम सी मुस्कान से,
खो गया कुछ देर मैं..उसके अपनत्व की छाँव में...
पुलकित होता रहा कुछ देर मैं उसे देखकर,
उसकी अकेलेपन का शायद बना था मैं हमसफर...
बेखबर था मैं, द्वेष से जल उठी थी सारी कली....!

बनफूल..उग आया था एक, मेरे बाग के कोने में कहीं।

अचानक ही!....जोर से....न जाने किधर से...!
प्रबल आँधी.. द्वेष की बह रही थी बाग में किधर से,
बनफूल था दुखी बाग की दुर्दशा देखकर,
मन ही मन सोचता, न आना था कभी मुृझको इधर...
असह्य पीड़ा लिए, हुआ था दफन वो वहीं कहीं....!

बनफूल..उग आया था एक, मेरे बाग के कोने में कहीं।