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Sunday, 4 February 2018

पुराना किस्सा

नया तो कुछ भी नही, किस्सा है सब वही पुराना!

हया की लाली आँखों पर छाना,
इक पल में तेरा घबराना,
शरमाकर चुपके से आँचल में छुप जाना,
हाथों में वो कंगण खनकाना.....

नया तो कुछ भी नही, किस्सा है सब वही पुराना!

बात-बात पर तुम्हारा रूठ जाना,
हर क्षण मेरा तुम्हें मनाना,
अगले ही पल फिर हँसना खिलखिलाना,
सिमटकर फिर इठला जाना.....

नया तो कुछ भी नही, किस्सा है सब वही पुराना!

कसमें-वादों में नित बंधते जाना,
पल में नैनों का छलकाना,
जुदाई का इक क्षण भी असह्य हो जाना,
विरहा में ये दामन भीग जाना.....

नया तो कुछ भी नही, किस्सा है सब वही पुराना!

अनदेखे धागों से यूँ जुड़ते जाना,
यूँ ही भावप्रवन कर जाना,
जन्मों के किस्से साँसों पर लिख जाना,
नींव इरादों की फिर रख जाना.......

नया तो कुछ भी नही, किस्सा है सब वही पुराना!

Thursday, 29 June 2017

उजड़ा हुआ पुल

यूँ तो बिसार ही चुके हो अब तुम मुझे!
देख आया हूँ मैं भी वादों के वो उजरे से पुल,
जर्जर सी हो चुकी इरादों के तिनके,
टूट सी चुकी वो झूलती टहनियों सी शाखें,
यूँ ही भूल जाना चाहता है अब मेरा ये मन भी तुझे!

पर इक धुन! जो बस सुनाई देती है मुझे!
खीचती है बार बार उजरे से उस पुल की तरफ,
टूटे से तिनकों से ये जोड़ती है आशियाँ,
रोकती है ये राहें, इस मन की गिरह टटोलकर ,
बांधकर यादों की गिरह से, खींचती है तेरी तरफ मुझे!

कौंधती हैं बिजलियाँ कभी मन में मेरे!
बरस पड़ते हैं आँसू, आँखों से यूँ ही गम में तेरे,
नम हुई जाती है सूखी सी वो टहनियाँ,
यादो के वो घन है अब मेरे मन के आंगन,
कोशिशें हजार यूँ ही नाकाम हुई है भूलाने की तुझे!

इस जनम यूँ तड़पाया है तेरे गम ने मुझे!
बार-बार, हर-बार तेरी यादों ने रुलाया है मुझे,
खोल कर बाहें हजार मैने किया इन्तजार,
पर झूठे वादों ने तेरे इस कदर सताया है मुझे,
अब न मिलना चाहुँगा, कोई जनम मैं राहों में तुझे !

Friday, 16 September 2016

अधलिखी

अधलिखी ही रह गई, वो कहानी इस जनम भी ....

सायों की तरह गुम हुए हैं शब्द सारे,
रिक्त हुए है शब्द कोष के फरफराते पन्ने भी,
भावप्रवणता खो गए हैं उन आत्मीय शब्दों के कही,
कहानी रह गई एक अधलिखी अनकही सी....

संग जीने की चाह मन में ही रही दबी,
चुनर प्यार का ओढ़ने को, है वो अब भी तरसती,
लिए जन्म कितने, बन न सका वो घरौंदा ही,
अधूरी चाह मन में लिए, वो मरेंगे इस जनम भी ....

जी रहे होकर विवश, वो शापित सा जीवन,
न जाने लेकर जन्म कितने, वो जिएंगे इस तरह ही,
क्या वादे अधूरे ही रहेंगे, अगले जनम भी?
अनकही सी वो कहानी, रह गई है अधलिखी सी....

विलख रहा हरपल यह सोचकर मन,
विधाता ने रची विधि की है यह विधान कैसी,
अधलिखी ही रही थी, वो उस जनम भी,
वो कहानी, अधलिखी ही रह गई इस जनम भी ....

Saturday, 27 February 2016

तुम ही तुम हो नजरों मे

नजरों का धोखा नहीं, मेरी हकीकत हो तुम।

तुम ही तुम हो नजरों मे,
साँसों में हो तुम धड़कन में,
चांदनी सी तुम आओ जीवन में।

चाँदनी सी रौशन हो, मेरी हकीकत हो तुम।

तरसी है ये मन की जमीं,
मैं हूँ कही और दिल है कहीं,
आओ तुम सिमट जाऊँ तुम मे कहीं।

दूर तुम मुझसे नहीं, मेरी हकीकत हो तुम।

जनमों से तुम आँखों मे हो,
अब कहीं तुम मुझको मिले हो,
जीवन की राहों मे अब बस तुम ही हो।

जनमों की आरजू हो, मेरी हकीकत हो तुम।

इंतजार सदियों का

इंतजार सदियों का, जानम इस जनम भी रहा!

तुम हर जनम मिले हर जनम दूर रहे,
जनम जनम के है दिलवर ये सिलसिले,
अबकी ये शिकवा रहा तुम अजनवी से लगे।

इंतजार सदियों का, जानम इस जनम भी रहा!

तुमसे ही रिश्ता मेरा जनम जनम का रहा,
तुझको फिकर ना मेरी जनमो जनम से रहा,
अबकी जनम तुमको मुझसे शिकायत है क्या?

इंतजार सदियों का, जानम इस जनम भी रहा!

दूर से मैं तुमको जनमों से देखा करूँ,
तुझको खबर ना मगर तेरा इंतजार करूँ,
अबकी तू ले ले खबर ना मैं शिकायत करूँ।

इंतजार सदियों का, जानम इस जनम भी रहा!

Friday, 26 February 2016

मै रुक जाता!

प्रिये, एक बार जो तुम कह देती, तो मैं रुक जाता!

प्रिये, तुम मेरी आस, तुम जन्मों की प्यास,
प्यास बुझाने जन्मों की तेरी पनघट ही मैं आता,
मैं राही तेरी राहों का, और कहीं मैं क्युँ जाता,
राह देखती तुम भी अगर, मैं भी तेरा हो जाता।

प्रिये, एक बार जो तुम कह देती, तो मैं रुक जाता!

तुमसे ही चलती ये सांसे, तुमपर ही विश्वास,
सासें जीवन की लेने तेरी बगिया ही मैं आता,
टूटे हृदय के इस मृदंग को तेरे लिए बजाता,
गीत मेरे तुम भी सुन लेती, तो मैं तेरा हो जाता।

प्रिये, एक बार जो तुम कह देती, तो मैं रुक जाता!

कह देती तुम गर, बात कभी अपने मन की,
उम्मीद लिए यही मन में, मैं तेरी राह खडृ़ा था,
दामन उम्मीद का मैंने, कहाँ कभी छोड़ा था,
यूँ ही चल पड़ा था मैं, तुमने भी कब रोका था।

प्रिये, एक बार जो तुम कह देती, तो मैं रुक जाता!

Saturday, 13 February 2016

आँखों का भरम


जानता हूँ तुमको जनमों से, तुम जानो या न जानो।

कई जन्मो पहले तुम मिले थे मुझको,
हम बिछड़े, फिर मिले हम, दुनिया से गुजरे, 
युग बीते, जन्म बदले, शक्ल बदले,
लगती ये बात पर आजकल की ही मुझको।

जानता हूँ कई जनमों से तुम्हे, तुम मानो या न मानो।

डोर कैसी जो खीचती तेरी ओर मुझको,
बिछड़े जन्मों पहले, फिर मिले हो तुम मुझको
आँखों में ये भरम कैसी, जो शक्ल बदले?
जन्मों-जन्मो से मिलते रहे तुम युंही मुझको।

जनमों जनमों का ये बंधन, तुम मानो या न मानो।

Sunday, 7 February 2016

जनम जनम का प्यार

कहते रहेंगे जनम-जनम, प्यार तुमसे करते हैं हम।

जनम जनम ओ जनम जनम,
तलाशेंगी आँखें तुझको सनम,
प्यार की वादियों से गुजरेंगे हम,
अब तो संग तेरेे ही मेरे सनम।

कहते रहेंगे जनम-जनम, प्यार तुमसे करते हैं हम।

प्यास जन्मों की तुम हो सनम,
चाहत का मौसम तुमसे ही सनम,
इन वादियों मे खिल जाएंगे हम,
फूल बन के चाहत के हर जनम।

कहते रहेंगे जनम-जनम, प्यार तुमसे करते हैं हम।
(Valentine Day Special)

Wednesday, 20 January 2016

जनम जनम का वादा


वादा हमने किया था मिलेंगे अगले जनम,
लो हम तुमसे मिल गए दिलबर इस जनम।

एतबार तुमने हम पर किया पिछले जनम,
प्रीत हमने भी निभा दी प्रियतम इस जनम।

तुम करती रहना वादा मिलने का हर जनम,
हम आते रहेंगे तुमसे मिलने जनम जनम।

सात वचनों के बंधन से बंधे तुमसे इस जनम,
 एक वचन तुम भी दो करोगे वादा हर जनम।