Showing posts with label जलती. Show all posts
Showing posts with label जलती. Show all posts

Tuesday 26 January 2016

क्षणिक पतंगे की जलती कहानी

प्रीत की तेरी,
कहानी क्षणिक पतंगे सी,
अमर प्रीत,
है तेरी जलते दीपक सी,
था लघु,
जीवन तेरी प्रीत का,
पर उम्र सारी,
तूने याद में बीता दी,
कह सकुंगा,
न मै ये जलती कहानी।
मेरे ठंढ़े हृहय में,
अधूरी वो जलती कहानी।

मैं भूलना चाहता,
अब वो जलती कहानी,
जिऊ कैसे,
जब आग उर में होे फानी,
क्या तुम कह पाओगी,
फिर कोई नई कहानी,
क्या तेरे हृदय,
सजेगा आज ठंढा पानी,
क्षणिक पतंगे की,
आग तुझको है फिर जलानी,
मेरे ठंढ़े हृहय में,
तब पू्री होगी वो जलती कहानी।