Monday, 14 November 2016

चुपचाप

हाँ, बस चुपचाप ....

चुपचाप ....जब आँखों की भाषा में कोई,
गिरह मन की खोलता है चुपचाप,

चुपचाप .... जब साँसों की लय पर कोई,
हृदय की धड़कन गिनता है चुपचाप,

चुपचाप ....जब कदमों की आहट पर कोई,
बेताबी दिल की सुन लेता है चुपचाप,

चुपचाप ....अंतःस्थ प्यार का बादल यूँ ही,
क्षितिज से उमड़ पड़ता है चुपचाप,

चुपचाप ....जब दिल की आँखों से यूँ ही,
कुछ शर्माकर वो देखते है चुपचाप,

चुपचाप .... ये मेरा छोटा सा घर  यूँ ही,
संसार मेरा बन जाता है चुपचाप।

हाँ, बस चुपचाप ....

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