हसीन सी होती ये जिन्दगी, कह भी देते जो बात वो।
कहीं कुछ तो है जो कह न पाए है वो,
कोई बात रुक गई है लबों पे आ के जो,
बन भी जाती इक नई दास्ताँ, कह भी देते जो बात वो।
चुप चुप से वो बैठे लब क्युँ सिले हैं वो,
जाने कब से इन सिलसिलों में पड़े हैं वो,
हँस भी देती ये खामोशियाँ, कह भी देते जो बात वो।
ये जरूरी नही कि कह दें मन की बात वो,
कह देती हैं सब ये नजरें, चाहे हों जज्बात जो,
रोके रुके हैं कब जज्बात ये, कह भी देते जो बात वो।
कुछ और होती ये जिन्दगी, कह भी देते जो बात वो।
कहीं कुछ तो है जो कह न पाए है वो,
कोई बात रुक गई है लबों पे आ के जो,
बन भी जाती इक नई दास्ताँ, कह भी देते जो बात वो।
चुप चुप से वो बैठे लब क्युँ सिले हैं वो,
जाने कब से इन सिलसिलों में पड़े हैं वो,
हँस भी देती ये खामोशियाँ, कह भी देते जो बात वो।
ये जरूरी नही कि कह दें मन की बात वो,
कह देती हैं सब ये नजरें, चाहे हों जज्बात जो,
रोके रुके हैं कब जज्बात ये, कह भी देते जो बात वो।
कुछ और होती ये जिन्दगी, कह भी देते जो बात वो।
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