Sunday 3 November 2019

प्यास

हुई है, प्यास कैसी ये सजग?
है जो, पानी से अलग!

घूँट, कितनी ही पी गया मैं!
प्यासा! फिर भी, कितना रह गया मैं!
तृप्त, क्यूँ न होता, ये मन कभी?
अतृप्ति! ये कैसी रही?
मन की प्यास, क्यूँ वैसी ही रही?
कुछ है, जो पानी में नहीं!
ढूंढ़ता है, मन वही!
पानी के किनारे, हम थे पानी के सहारे,
पर भटक रहे हम, प्यास के मारे,
है पानी में, इक परछाईं मेरी,
हूँ मैं, परछाईं से अलग!

हुई है, प्यास कैसी ये सजग?
है जो, पानी से अलग!

यूँ तो, संभलता रह गया मैं!
पी कर! थोड़ा, बहलता रह गया मैं!
मशगूल, रहकर दुनियाँ में कहीं!
भूला, सत्य को मैं कहीं!
गूंज मन की, दबाए खुद में कहीं!
करता ही रहा मैं, अनसुनी,
सुनता है, मन वही!
दरिया किनारे, कलकल बहते हैं धारे,
रेत ये सूखे से, हैं दरिया किनारे,
इस प्यास में है, रानाई मेरी,
हूँ मैं, रानाई से अलग!

हुई है, प्यास कैसी ये सजग?
है जो, पानी से अलग!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा

12 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 03 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. अति उत्तम प्यास

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  3. प्रत्येक दिन प्यास और दृढ़ता के बीच एक समझौता है। कार्य लक्ष्य, संबंध लक्ष्य और आत्मा लक्ष्य सभी संतुलन पर निर्भर करता है। लेकिन कभी-कभी लहरें, भूकंप, तूफान या भावनात्मक विस्फोट जैसी गड़बड़ी हमारे रास्ते को अवरुद्ध कर देती है। फिर भी प्यास और दृढ़ता हमें चलती रहती है।

    आपके लेखन के लिए सम्मान।

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    1. सर्वप्रथम ब्लॉग पर आने हेतु धन्यवाद आदरणीय नीलांश जी। द्वितीय, इतनी सुन्दर प्रतिक्रिया और उत्साहवर्धन हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद । स्वागत है आपका।

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  4. आपकी रचनाओं को पढ़कर मैं हमेशा लाजवाब हो जाता हूँ । आप सच्च में बेहतरीन हैं।

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    1. आपकी सराहना ही हमारा मनोबल बढाती है। सदैव आभारी हूँ आदरणीय प्रकाश जी।

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  5. रेत ये सूखे से, हैं दरिया किनारे,
    इस प्यास में है, रानाई मेरी,
    हूँ मैं, रानाई से अलग!

    हुई है, प्यास कैसी ये सजग?
    है जो, पानी से अलग!
    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ।सादर।

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    1. आपका हार्दिक स्वागत है मेरे ब्लॉग पर। अभिनंदन आभार आदरणीया ।

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  6. ये अनबुझ प्यास ही जीवन में सृजन का मूल है |इसके साथ जीवन पथ पर अग्रसर रहना ही पथिक की विवशता या कहें जीवन कर्म है |

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    1. सराहना हेतु हृदयतल से आभार आदरणीया रेणु जी

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