ये भी, इक दौर है....
विस्तृत गगन, पर न कहीं ठौर है!
सिमट चुकी है, ये संसृति,
शून्य सी, हुई चेतना,
और एक, गर्जना,
कोरोना!
बेखुदी में, दौर ये....
कोई मरे-मिटे, करे कौन गौर ये!
खुद से ही डरे, लोग हैं,
झांकते हैं, शून्य में,
और एक, वेदना,
कोरोना!
क्रूर सा, ये दौर है....
मानव पर, अत्याईयों का जोर है!
लीलती, ये जिन्दगानियाँ,
रौंदती, अपने निशां,
और एक, गर्जना,
कोरोना!
ढ़लता नहीं, दौर ये....
सहमी क्षितिज, छुप रहा सौर ये!
संक्रमण का, काल यह,
संक्रमित है, ये धरा,
और एक, वेदना,
कोरोना!
ये भी, इक दौर है....
विचलित है मन, ना कहीं ठौर है!
बढ़ने लगे है, उच्छवास,
करोड़ों मन, उदास,
और एक, गर्जना,
कोरोना!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
विस्तृत गगन, पर न कहीं ठौर है!
सिमट चुकी है, ये संसृति,
शून्य सी, हुई चेतना,
और एक, गर्जना,
कोरोना!
बेखुदी में, दौर ये....
कोई मरे-मिटे, करे कौन गौर ये!
खुद से ही डरे, लोग हैं,
झांकते हैं, शून्य में,
और एक, वेदना,
कोरोना!
क्रूर सा, ये दौर है....
मानव पर, अत्याईयों का जोर है!
लीलती, ये जिन्दगानियाँ,
रौंदती, अपने निशां,
और एक, गर्जना,
कोरोना!
ढ़लता नहीं, दौर ये....
सहमी क्षितिज, छुप रहा सौर ये!
संक्रमण का, काल यह,
संक्रमित है, ये धरा,
और एक, वेदना,
कोरोना!
ये भी, इक दौर है....
विचलित है मन, ना कहीं ठौर है!
बढ़ने लगे है, उच्छवास,
करोड़ों मन, उदास,
और एक, गर्जना,
कोरोना!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
" बेखुदी में, दौर ये....
ReplyDeleteकोई मरे-मिटे, करे कौन गौर ये!
खुद से ही डरे, लोग हैं,
झांकते हैं, शून्य में,
और एक, वेदना,
कोरोना!"
वाह! सटीक,सुंदर।
हार्दिक आभार आदरणीया
DeleteAwesome
ReplyDeleteRegards
Sudhir
Thanks dear Sudhir
Delete
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
29/03/2020 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
सादर आभार
Deleteसुन्दर और सामयिक रचना।
ReplyDeleteआदरणीय मयंक जी, धन्यवाद ।
Deleteसामयिक सार्थक लेखन
ReplyDeleteइस रात की भी सुबह होगी ही होगी
आभार आदरणीया विभा दी।
Deleteबहुत सुन्दर समसामयिक सृजन
ReplyDeleteढ़लता नहीं, दौर ये....
सहमी क्षितिज, छुप रहा सौर ये!
संक्रमण का, काल यह,
संक्रमित है, ये धरा,
और एक, वेदना,
कोरोना!
आदरणीया सुधा देवरानी जी, प्रतिक्रिया हेतु हृदयतल से आभार।
Deleteआशा है कोरोना संक्रमण से आप खुद को और पूरे परिवार को सुरक्षित रख रहीं होंगी।