Wednesday 23 December 2020

निवृति

निवृति कब पाया किसने!
माया यह जीवन!

गंतव्य कहाँ!
जाने कौन, यहाँ!
अनंत पथ,
अनवरत जीवन रथ,
शतत् कर्मरत्, यह अग्निपथ,
इक शपथ,
इक और शपथ!
निवृत कब!
पलती, साँसों के मध्य,
तृष्णा,
और वितृष्णा,
दोधार बना जीवन!

निवृति कब पाया किसने!
माया यह जीवन!

संसार जहाँ,
सुख-सार, कहाँ!
व्यस्त रहा,
विवश रहा, प्राणी,
बिछड़न-मिलन के मध्य,
बह चला,
आँखों का पानी,
बरसा सावन,
फिर भी क्यूँ तरसा,
मन,
प्यासा घन,
सूख चला जीवन!

निवृति कब पाया किसने!
माया यह जीवन!

रात अकेली,
पलकों बीच, खेली,
कभी सोई,
बदल बदल करवट,
जागे, ऊंघे पलकों के पट,
राहें सूनी,
आंगन सब सूना,
इक आस,
मध्य, सौ-सौ निराश,
क्षण,
क्षत्-विक्षत,
आहत इक जीवन!

निवृति कब पाया किसने!
माया यह जीवन!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)

22 comments:

  1. गंतव्य कहाँ!
    जाने कौन, यहाँ!
    अनंत पथ,
    अनवरत जीवन रथ,
    शतत् कर्मरत्, यह अग्निपथ,
    इक शपथ,
    इक और शपथ!
    निवृत कब!
    पलती, साँसों के मध्य,
    तृष्णा,
    और वितृष्णा,
    दोधार बना जीवन!..जीवन दर्शन के सुन्दर अहसासों से युक्त सुन्दर रचना..

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    1. मुक्तकंठ प्रशंसा व प्रेरणात्मक प्रतिक्रिया हेतु आभारी हूँ आदरणीया जिज्ञासा जी

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 23 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24.12.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
    धन्यवाद

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय यशवन्त जी। सुस्वागतम्। ।।।।।

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  5. प्रभावशाली लेखन - - गहनता लिए हुए - - साधुवाद।

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    1. आदरणीय शान्तनु जी, बहुत-बहुत धन्यवाद। ।

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  6. बहुत सुन्दर दार्शनिक रचना. बधाई.

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया जेनी जी। स्वागत है आपका।

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  7. सुन्दर प्रस्तुति

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  8. गहन भावाभिव्यक्ति।

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    1. प्रतिक्रिया हेतु आभारी हूँ आदरणीया श्वेता जी

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  9. विवश रहा, प्राणी,
    बिछड़न-मिलन के मध्य,
    बह चला,
    आँखों का पानी,
    बरसा सावन,
    फिर भी क्यूँ तरसा,
    मन,
    प्यासा घन,
    सूख चला जीवन!

    निवृति कब पाया किसने!

    जीवनदर्शन से परिपूर्ण बहुत श्रेष्ठ सुंदर रचना...

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    1. प्रेरक प्रतिक्रिया हेतु आभारी हूँ आदरणीया शरद जी

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  10. सार्थक एवं सराहनीय रचना...।

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    1. प्रतिक्रिया हेतु आभारी हूँ आदरणीय विशाल जी।

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