जीवन के अनुभवों पर, मेरे मन के उद्घोषित शब्दों की अभिव्यक्ति है - कविता "जीवन कलश"। यूं, जीवन की राहों में, हर पल छूटता जाता है, इक-इक लम्हा। वो फिर न मिलते हैं, कहीं दोबारा ! कभी वो ही, अपना बनाकर, विस्मित कर जाते हैं! चुनता रहता हूँ मैं, उन लम्हों को और संजो रखता हूँ यहाँ! वही लम्हा, फिर कभी सुकून संग जीने को मन करता है, तो ये, अलग ही रंग भर देती हैं, जीवन में। "वैसे, हाथों से बिखरे पल, वापस कब आते हैं! " आइए, महसूस कीजिए, आपकी ही जीवन से जुड़े, कुछ गुजरे हुए पहलुओं को।
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Thursday, 4 March 2021
2,50,000....शुक्रिया
शुुुक्रिया आदरणीय पाठकगण,
2,50,000 से भी ज्यादा बार इस ब्लॉग को अनुसरण कर, सतत् लेखन हेतु प्रेरित करते रहने के लिए आभारी हूँ।
Congratulations 🌷🌹
ReplyDeleteहृदयतल से आभारी हूँ ....
Deleteबहुत बहुत बधाई आदरणीय सर आपकी साहित्यिक यात्रा निर्बाध चलती रही शुभकामनाएं स्वीकार करें।
ReplyDeleteसादर।
शुक्रिया आदरणीय श्वेता जी।
Deleteवाह!!! हार्दिक बधाई!!!
ReplyDeleteआभारी हूँ आदरणीय विश्वमोहन जी।।।।
Deleteबहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं आदरणीय पुरुषोत्तम जी । आपकी साहित्यिक यात्रा अनवरत नये सोपान प्राप्त करती रहे ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया मीना जी।
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