संग तुम्हारे, सिमट आए ये रंग सारे!
है तुम्हीं से, फागुनी बयार!
कल तक न थी, ऐसी ये बयार,
गुमसुम सी, थी पवन,
न ही, रंगों में थे ये निखार,
ले आए हो, तुम्हीं,
फागुनी सी, ये बयार!
संग तुम्हारे, निखर आए ये रंग सारे!
है तुम्हीं से, फागुनी बयार!
जीवंत हो उठी, सारी कल्पना,
यूँ, प्रकृति का जागना,
जैसे, टूटी हो कोई साधना,
पी चुकी हो, भंग,
सतरंगी सी, ये बयार!
संग तुम्हारे, बिखर आए ये रंग सारे!
है तुम्हीं से, फागुनी बयार!
तुम हो साथ, रंगों की है बात,
हर ओर, ये गीत-नाद,
मोहक, सिंदूरी सी ये फाग,
कर गई है, विभोर,
अलसाई सी, ये बयार!
संग तुम्हारे, उभर आए ये रंग सारे!
है तुम्हीं से, फागुनी बयार!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
कल तक न थी, ऐसी ये बयार,
ReplyDeleteगुमसुम सी, थी पवन,
न ही, रंगों में थे ये निखार,
ले आए हो, तुम्हीं,
फागुनी सी, ये बयार...बहुत सुंदर रचना
विनम्र आभार आदरणीया
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२७-०३-२०२१) को 'रंग पर्व' (चर्चा अंक- ४०१८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी
विनम्र आभार आदरणीया
Deleteवाह ... ये रंग खिले रहें .
ReplyDeleteतुम जो दिखे तो
चेहरा गुलाल हो गया
उदासी की पैहरन उतार
बस मन खिल गया ...
सुन्दर रचना ...
बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ ....रचना की आत्मा को जोड़ती हुई।
Deleteहार्दिक धन्यवाद व विनम्र आभार आदरणीया।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 26 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteविनम्र आभार दी
Deleteहोली के अवसर पर सार्थक सृजन।
ReplyDeleteविनम्र आभार आदरणीय। ।।।
Deleteबेहतरीन कविता सर!
ReplyDeleteविनम्र आभार। पटल पर आपका हार्दिक स्वागत है आदरणीय। ।।।
Deleteबहुत ही सुंदर सृजन, आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteविनम्र आभार। यह होली आपके जीवन को अंतहीन रंगों से सराबोर कर दे।।।।
Deleteसच में सतरंगी बयार भंग पी कर प्रकृति को रंग और गुलाल से विभोर कर रही है । मन फागमय हो रहा है । हार्दिक शुभकामनाएँ आनन्द को बिखेरने हेतु ।
ReplyDeleteविनम्र आभार। अंतहीन रंगों भरी शुभकामनाएँ ।।।।
Deleteबहुत ही बेहतरीन कविता, आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी। आपको भी होली की अशेष शुभकामनाएँ
Deleteमन के अनुराग का सुंदर एहसास दर्शाती मोहक रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई।
रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
धन्यवाद आदरणीया कुसुम जी। आपको भी होली की अशेष शुभकामनाएँ
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ReplyDeleteतुम हो साथ, रंगों की है बात,
हर ओर, ये गीत-नाद,
मोहक, सिंदूरी सी ये फाग,
कर गई है, विभोर,
अलसाई सी, ये बयार!.. फागुन के रंगों में डुबोती, प्रीत और प्रेम से सराबोर सुन्दर रचना ।
विनम्र आभार आदरणीया जिज्ञासा जी।
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