Tuesday, 30 July 2019

वो है अलबेला

वो है अलबेला,
वो ना भूला होगा!
फिर आएगा वो मौसम, फिर वो ही झूला होगा!

फिर से, घिर आई है ये बदली,
वो खिल आई है, फिर जूही की कली,
इन हवाओं नें, फिर हौले से छुआ,
वो ही, कुछ कह रहा होगा!
वो है अलबेला,
वो ना भूला होगा!

फिर आएगा वो मौसम, फिर वो ही झूला होगा!

सर्द सा, हो चला है ये मौसम,
बिखर सी गई हैं, हर तरफ ये शबनम,
वो भींग कर, हँस रही हैं कलियाँ,
देख, वो ही हँस रहा होगा!
वो है अलबेला,
वो न भूला होगा!

फिर आएगा वो मौसम, फिर वो ही झूला होगा!

कोई गीत, गा रही है ये पवन,
या उसी के, धुन की है ये नई सरगम,
थिरक उठा, है फिर ये सारा जहाँ,
वो ही, फिर गा रहा होगा!
वो है अलबेला,
वो न भूला होगा!

फिर आएगा वो मौसम, फिर वो ही झूला होगा!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (31-07-2019) को "राह में चलते-चलते"
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete