Wednesday 16 December 2015

विवशताएँ

मन विवश क्युं?
भावनाएं बेकल क्युं?
प्यार कुंठित क्युं?

क्युं है ये दायरे,
क्युं हैं ये पहरे,
क्युं है ये विवशता,

क्या प्यार के अहसास को
जन्म पाने की भी उम्र तय होती है?
विवशताओं के दायरों मे पिरोए संबंध
क्या जन्म दे पाते हैं प्यार को?
क्या इनमे भावनाओं को जगाने की
प्रचूर ऊष्मा होती है?

शायद नहीं....!

जीवन के सुदूर पलों का प्यार,
शायद बंदिशों मे दब कर 
दम तोड़ देती है या फिर
दुनिया इन्हें नाजायज ठहरा देती है।

क्या प्यार कभी नाजायज हो सकता है?

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