एक कतरा आँसू
जो छलक गए नैनों से,
जो देखी दुनिया की बेरुखी,
सिमट गए फिर उन्ही नैंनों मे।
आसू के जज्बात यहां समझे कौन,
अपनी-अपनी सबकी दुनियां,
सभी है खुद में गुम और मौन,
ज्जबातो की यहां सुनता कौन।
बंदिशे हैं सारी जज्बातों पर,
कोमलताएं कही खो चुकी हैं
बेरुखी के सुर्ख जर्रों में,
आँसूं भी अब सोचते बहूं या सूख ही जाऊं...!
जो छलक गए नैनों से,
जो देखी दुनिया की बेरुखी,
सिमट गए फिर उन्ही नैंनों मे।
आसू के जज्बात यहां समझे कौन,
अपनी-अपनी सबकी दुनियां,
सभी है खुद में गुम और मौन,
ज्जबातो की यहां सुनता कौन।
बंदिशे हैं सारी जज्बातों पर,
कोमलताएं कही खो चुकी हैं
बेरुखी के सुर्ख जर्रों में,
आँसूं भी अब सोचते बहूं या सूख ही जाऊं...!
Nyc composition........
ReplyDeleteThank you, Abhishek
ReplyDeleteThank you, Abhishek
ReplyDeleteLife has to move on...
ReplyDeleteआँसू बहे या सूखे, जीवन तो चलता रहेगा। Life has to move on....,
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