हसीन कितने, हैं ये नजारे,
पर, अब भी,
तुझे ही, देखते हैं वो सारे!
तुम ही तो लाये थे, झौंके पवन के,
ये नूर तेरे ही, नैनों से छलके,
बिखरे फलक पर, बनकर सितारे,
बादलों के किनारे!
हसीन कितने, हैं ये नजारे,
पर, अब भी,
तुझे ही, देखते हैं वो सारे!
रोकती हैं, हसरत भरी तेरी निगाहें,
रौशन है तुझसे, घटाटोप राहें,
उतरा हो जमीं पर, वो चाँद जैसे,
पलकों के सहारे!
हसीन कितने, हैं ये नजारे,
पर, अब भी,
तुझे ही, देखते हैं वो सारे!
बिखर सी गई, उम्र की, ये गलियाँ,
निखर सी गईं, और कलियाँ,
यूँ तूने बिखेरा, खुशबू का तराना,
आँचलों के सहारे!
हसीन कितने, हैं ये नजारे,
पर, अब भी,
तुझे ही, देखते हैं वो सारे!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
ReplyDeleteबिखर सी गई, उम्र की, ये गलियाँ,
निखर सी गईं, और कलियाँ,
यूँ तूने बिखेरा, खुशबू का तराना,
आँचलों के सहारे...वाह अतिसुंदर
विनम्र आभार आदरणीया
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (२१-0६-२०२१) को 'कुछ नई बाते नये जमाने की सिखाना भी सीख'(चर्चा अंक- ४१०२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
विनम्र आभार आदरणीया
Deleteकृपया रविवार को सोमवार पढ़े।
ReplyDeleteसादर
✍👍
Deleteबिखर सी गई, उम्र की, ये गलियाँ,
ReplyDeleteनिखर सी गईं, और कलियाँ,
यूँ तूने बिखेरा, खुशबू का तराना,
आँचलों के सहारे!
बेहद खूबसूरत रचना 👌
विनम्र आभार आदरणीया
Deleteरोकती हैं, हसरत भरी तेरी निगाहें,
ReplyDeleteरौशन है तुझसे, घटाटोप राहें,
उतरा हो जमीं पर, वो चाँद जैसे,
पलकों के सहारे!
बहुत सुंदर पंक्तियां
सुंदर सृजन
ReplyDeleteविनम्र आभार आदरणीय
Deleteरोकती हैं, हसरत भरी तेरी निगाहें,
ReplyDeleteरौशन है तुझसे, घटाटोप राहें,
उतरा हो जमीं पर, वो चाँद जैसे,
पलकों के सहारे!
बहुत सुंदर चित्रण ...भावपूर्ण बहुत कोमल रचना...
विनम्र आभार आदरणीया
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ReplyDeleteतुम ही तो लाये थे, झौंके पवन के,
ये नूर तेरे ही, नैनों से छलके,
बिखरे फलक पर, बनकर सितारे,
बादलों के किनारे!
वाह, सुंदर भावाभिव्यक्ति ।
विनम्र आभार आदरणीया
Deleteसुंदर ! श्रृंगार भावों का अनुपम संयोजन ।
ReplyDeleteविनम्र आभार आदरणीया
Deleteखूबसूरत सृजन
ReplyDeleteविनम्र आभार आदरणीया
Deleteहसीन कितने, हैं ये नजारे,
ReplyDeleteपर, अब भी,
तुझे ही, देखते हैं वो सारे!
तुम ही तो लाये थे, झौंके पवन के,
ये नूर तेरे ही, नैनों से छलके,
बिखरे फलक पर, बनकर सितारे,
बादलों के किनारे!
क्या बात है ! जब कोई ख़ास पास हो तो नजार्रे रंगत बदल लेते हैं | बढ़िया लेखन पुरुषोत्तम जी |
अभिनन्दन व विनम्र आभार आदरणीया रेणु जी।
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