Sunday 20 June 2021

नजारे

हसीन कितने, हैं ये नजारे,
पर, अब भी, 
तुझे ही, देखते हैं वो सारे!

तुम ही तो लाये थे, झौंके पवन के,
ये नूर तेरे ही, नैनों से छलके,
बिखरे फलक पर, बनकर सितारे,
बादलों के किनारे!

हसीन कितने, हैं ये नजारे,
पर, अब भी, 
तुझे ही, देखते हैं वो सारे!

रोकती हैं, हसरत भरी तेरी निगाहें,
रौशन है तुझसे, घटाटोप राहें,
उतरा हो जमीं पर, वो चाँद जैसे,
पलकों के सहारे!

हसीन कितने, हैं ये नजारे,
पर, अब भी, 
तुझे ही, देखते हैं वो सारे!

बिखर सी गई, उम्र की, ये गलियाँ,
निखर सी गईं, और कलियाँ,
यूँ तूने बिखेरा, खुशबू का तराना,
आँचलों के सहारे!

हसीन कितने, हैं ये नजारे,
पर, अब भी, 
तुझे ही, देखते हैं वो सारे!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)

21 comments:


  1. बिखर सी गई, उम्र की, ये गलियाँ,
    निखर सी गईं, और कलियाँ,
    यूँ तूने बिखेरा, खुशबू का तराना,
    आँचलों के सहारे...वाह अतिसुंदर

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (२१-0६-२०२१) को 'कुछ नई बाते नये जमाने की सिखाना भी सीख'(चर्चा अंक- ४१०२) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  3. कृपया रविवार को सोमवार पढ़े।

    सादर

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  4. बिखर सी गई, उम्र की, ये गलियाँ,
    निखर सी गईं, और कलियाँ,
    यूँ तूने बिखेरा, खुशबू का तराना,
    आँचलों के सहारे!
    बेहद खूबसूरत रचना 👌

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  5. रोकती हैं, हसरत भरी तेरी निगाहें,
    रौशन है तुझसे, घटाटोप राहें,
    उतरा हो जमीं पर, वो चाँद जैसे,
    पलकों के सहारे!
    बहुत सुंदर पंक्तियां

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  6. रोकती हैं, हसरत भरी तेरी निगाहें,
    रौशन है तुझसे, घटाटोप राहें,
    उतरा हो जमीं पर, वो चाँद जैसे,
    पलकों के सहारे!

    बहुत सुंदर चित्रण ...भावपूर्ण बहुत कोमल रचना...

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  7. तुम ही तो लाये थे, झौंके पवन के,
    ये नूर तेरे ही, नैनों से छलके,
    बिखरे फलक पर, बनकर सितारे,
    बादलों के किनारे!
    वाह, सुंदर भावाभिव्यक्ति ।

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  8. सुंदर ! श्रृंगार भावों का अनुपम संयोजन ।

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  9. हसीन कितने, हैं ये नजारे,
    पर, अब भी,
    तुझे ही, देखते हैं वो सारे!

    तुम ही तो लाये थे, झौंके पवन के,
    ये नूर तेरे ही, नैनों से छलके,
    बिखरे फलक पर, बनकर सितारे,
    बादलों के किनारे!
    क्या बात है ! जब कोई ख़ास पास हो तो नजार्रे रंगत बदल लेते हैं | बढ़िया लेखन पुरुषोत्तम जी |

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    1. अभिनन्दन व विनम्र आभार आदरणीया रेणु जी।

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