Tuesday 26 March 2019

अश्रु, तू क्यूँ बहता?

हुई जो पीड़ा, कण-कण है अश्रु से भरा?

शायद टूटा, मन का घड़ा,
या बहती दरिया का मुँह, किसी ने मोड़ा,
छलक आए ये सूखे से नयन,
लबालब, ये मन है भरा!

हुई जो पीड़ा, कण-कण है अश्रु से भरा?

शायद बही, रुकी सी धारा,
या असह्य सी व्यथा, कह किसी ने पुकारा,
कुछ पल रही, पलकों में अटकी,
रोके, कब रुकी वो धारा!

हुई जो पीड़ा, कण-कण है अश्रु से भरा?

शायद खुद, बही हो धारा,
या अन्तर्मन ही उभरा हो, दबा कोई पीड़ा,
भूली दास्ताँ, हो यादों मे उमरा,
बरबस, बही वो अश्रुधारा!

हुई जो पीड़ा, कण-कण है अश्रु से भरा?

शायद हो, व्यथित वसुधा,
हो ख़ामोशियों की, कोई भीगी सी ये सदा,
कहीं व्योम में, जख्म हो उभरा,
बरस आई, बूँदों सी धारा!

हुई जो पीड़ा, कण-कण है अश्रु से भरा?

शायद हो, रातों का मारा,
दुस्कर उन अंधियारों से, नवदल हो हारा,
अश्रुधार, छलक आईं कोरों से,
ओस, नवदल पर उभरा!

हुई जो पीड़ा, कण-कण है अश्रु से भरा?

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा

18 comments:

  1. Replies
    1. सदैव प्रेरणा व मार्गदर्शन हेतु हृदयतल से आभारी हूँ आदरणीय दिग्विजय जी।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (27-03-2019) को "अपनी औकात हमको बताते रहे" (चर्चा अंक-3287) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. हुई जो पीड़ा, कण-कण है अश्रु से भरा
    बहुत ही सुंदर रचना ,सादर नमन

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    1. आभारी हूँ आदरणीया कामिनी जी। सततृ प्रोत्साहन हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  4. वाह !बेहतरीन आदरणीय
    सादर

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  5. मर्मस्पर्शी रचना,

    शायद टूटा, मन का घड़ा,
    या बहती दरिया का मुँह, किसी ने मोड़ा,
    छलक आए ये सूखे से नयन,
    लबालब, ये मन है भरा!
    अत्यंत भावपूर्ण पंक्तियाँ ।

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    १ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  7. हृदय स्पर्शी उद्गार कलम नही हृदय की जुबान।
    बेहतरीन।

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  8. शायद हो, व्यथित वसुधा,
    हो ख़ामोशियों की, कोई भीगी सी ये सदा,
    कहीं व्योम में, जख्म हो उभरा,
    बरस आई, बूँदों सी धारा!
    बहुत ही सुन्दर...हृदयस्पर्शी रचना...।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया सुधा देवरानी जी । शुभकामनाएं ।

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