वक्त ठहरता ही नही,
आशाएं बढती ही जाती जीवन की इस गतिशीलता में,
भावनाएं! या तो पंख पा लेती या फिर कुंठित हो जाती,
आंखे जीवन भर तलाशती रह जाती हैं उन्हे,
जिनसे भावनाओं को समझने की उम्मीद हों बंधी,
वो मिल भी गया तो ........
वक्त ही नही उसके पास भी ।
आशाएं बढती ही जाती जीवन की इस गतिशीलता में,
भावनाएं! या तो पंख पा लेती या फिर कुंठित हो जाती,
आंखे जीवन भर तलाशती रह जाती हैं उन्हे,
जिनसे भावनाओं को समझने की उम्मीद हों बंधी,
वो मिल भी गया तो ........
वक्त ही नही उसके पास भी ।
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