Tuesday 22 March 2016

बेमतलब कोई बात बने

बेमतलब ही आँचल स्नेह का मिल जाए तब कोई बात बने!

वो कहते कुछ अपनी कह लूँ तब कोई बात बने!
साथ कहाँ कोई देता जग में यूँ ही,
यूँ बिन मतलब के बात यहाँ करता क्या कोई?
सबकी अपनी धुन सबकी अपनी राह,
मतलब की है सब यारी मतलब की सब बात,

बेमतलब की बातें दिल की कोई सुन ले तब बात बने।

वो कहते दो चार कदम मैं चल लूँ तब साथ बने!
क्या कदमों का चलना ही जीवन है?
दो चार कदम संग ढ़लना ही क्या जीवन है?
सबकी अपनी चाल सबका अपना रोना है,
जीवन बस इक राग, साथ-साथ जिसको गाना है।

बेमतलब ही कोई संग गीत गुनगुना ले तब कोई बात बने।

बेमतलब ही साया प्यार का मिल जाए तब कोई बात बने!

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