तुम प्रीत, तुम संगीत मेरी, जीवन छंद सी कलरव करती,
अधरों से लिपटी तुम गीत मेरी।
स्वर विहग सम चहकती, जीवन पल गुँजित तुझसे ही,
कुसुमित मन उपवन तुम मेरी।
यौवन का मधुरस तुम, मधुर स्वर की रागिनी तुम मेरी,
कुंठित पल की स्वर संगीत तुम मेरी।
जीवन काया मिट्टी तुम बिन, निःस्वर विरहाग्नि जीवन,
जीवन स्वर मे घुली प्राण तुम मेरी।
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