मधुर स्मृति स्पर्श अनुराग छू जाते अंतर के स्वर!
मैं प्रेमी जीवन के स्वर्गिक स्पर्शो का,
मै अनुरागी जीवन के हर्ष विमर्शों का,
मैं प्रेमी विद्युत सम मधुर स्मृतियों का।
शीतल उज्जवल अनुराग छू जाते अंतर के स्वर!
उज्जवलता दूँ मैं जीवन भर जलकर,
निश्चल बस जाऊँ हृदय संग चलकर,
अंबर की धारा से उतर आऊँ भू पर।
महत् कर्म मधुरगंध छू जाते अंतर के स्वर!
उच्च उड़ान भर लूँ मैं महत् कर्म कर,
त्याग दूँ जीवन के चमकीले आडंबर,
पी जाऊँ मधुरगंध साँसों में घोल कर।
मधुर स्मृति स्पर्श अनुराग छू जाते अंतर के स्वर!
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