Sunday 10 January 2016

सूर्य नमन

नमन आलिंगन नव प्रभात, 
हे रश्मि किरण तुम्हारा,
खुद अग्नि मे हो भस्म,
तम हरती करती उजियारा।

जनकल्यान परोपकार हेतु
पल-पल भस्म तू होती,
ज्वाला ज्यों-ज्यों तेज होती,
प्रखर होती तेरी ज्योति ।

विश्व मे पूजित हो पाने का,
अवश्यमभावी मंत्र यही है,
निष्काम्-निःस्वार्थ परसेवा,
जीवन का आधार यही है।

सीख सभ्यता को नितदिन,
तू देता निःशुल्क महान,
परमार्थ कार्य तू भी सीख,
मानव हो जगत कल्याण।

No comments:

Post a Comment