Sunday 10 January 2016

इक नया आसमा

इक नया आसमाँ नित इक नई मंजिल,
पाना चाहते बेखबर ये दो दिल बार-बार,
अनोखा इक नया गीत, मधुरतम इक नई संगीत,
धड़कनों के धड़कने की अनोखी इक नई रीत,
सुनाना चाहते दुनिया को ये दो दिल हर बार।

जैसे लहरें समुन्दर की झूम कर आती साहिल पर,
टूटकर बिखर जाती दामन में इसके बार-बार,
छेड़ जाती धुन एक नई प्यार की,
रूप अनोखा दे, करती फिर नया इक वादा,
लौट आऊंगा मचल फिर करने प्यार हर बार।

जैसे सूरज रोज आता बादलों के पीछे से,
रंग वसुधा को दे करता इजहारे प्यार बार-बार,
जलाता तपिश से उसे रंग मे अपनी रंग लेता,
लौट जाता फिर कर इक नया वादा,
रोज आऊंगा देने तुझे इक नई तपिश हर बार।

जैसे हवाएँ रोज आती पेड़ों के दामन में,
पत्तियों को छू करती प्यार का इजहार बार-बार,
झकझोर जाती शाखों को सरसराहट से,
गुजरती कोर से करती रोज इक नया वादा,
सँवर-निखर तू आऊँगा छेड़ने तुझको हर बार।

प्यार का इक नया आसमाँ पाना चाहते ये दो दिल।

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