फुर्सत के क्षण मन बेचैन, बेचैनियों से फुर्सत कहाँ,
दिल क्युँ ढूंढता फिर वही, बेचैन लम्हों के रात दिन।
तलाश जिस सुकून की मिलती वो इन बेचैनियों मे,
लम्हात उन्ही मुफलिसी के दिल ढूंढता रहता रात दिन।
अक्सर बेचैनियों के बादल छाते दिल के आकाश पर,
सुकून वही फिर दे जाते जिन्हे दिल ढूंढता रात दिन।
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