Wednesday 13 January 2016

और नहीं कुछ तुमसे चाह!

कुछ हल्का कर दो जीवन की व्यथा-भार,
तुम दे दो सुख के क्षण जीवन आभार,
प्रिय, बस और नही कुछ तुमसे चाह!

व्यथा-भार जीवन की संभलती नही अकेले,
दुःख के क्षण जीवन के चिरन्तन से खेले,
तुम दे दो साथ, और नही कुछ तुमसे चाह!

अर्थ जीवन का अकेले समझ नही कुछ आता,
राह जीवन की लम्बी व्यर्थ मुझे है लगता,
तुम हाथ थाम लो, और नही कुछ तुमसे चाह!

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