मिलने का सुख,
बिछड़ने का दु:ख,
जैसे, सुबह की लालिमा,
संध्या वेला की लालिमा,
दोनो इक जैसे ही दिखते हैं!
फर्क बहुत थोड़ा इनमे,
मिलन में है माधूर्य,
सुबह की लालिमा की
मधुर ठंढ़क सी,
बिछड़ने की गर्म पीड़ा,
संध्या की लाली में
घुली उमस सी।
दोनो इक जैसे ही दिखते हैं!
कुछ क्षण पश्चात्,
शान्त दोनों हो जाते,
न मिलन का सुख,
न विरह का दुःख,
दोनो इक जैसे ही दिखते हैं!
भँवड़े मिलते फूलों से,
माधूर्य पी जाते फूलों का,
रस लेकर उड़ जाते हैं,
पर खिल उठता
फूलों का मन,
बिछड़ने की पीड़ा,
घुल जाती मिलन के,
खुशी भरे एहसास मे,
दोनो इक जैसे ही दिखते हैं!
बिछड़ने का दु:ख,
जैसे, सुबह की लालिमा,
संध्या वेला की लालिमा,
दोनो इक जैसे ही दिखते हैं!
फर्क बहुत थोड़ा इनमे,
मिलन में है माधूर्य,
सुबह की लालिमा की
मधुर ठंढ़क सी,
बिछड़ने की गर्म पीड़ा,
संध्या की लाली में
घुली उमस सी।
दोनो इक जैसे ही दिखते हैं!
कुछ क्षण पश्चात्,
शान्त दोनों हो जाते,
न मिलन का सुख,
न विरह का दुःख,
दोनो इक जैसे ही दिखते हैं!
भँवड़े मिलते फूलों से,
माधूर्य पी जाते फूलों का,
रस लेकर उड़ जाते हैं,
पर खिल उठता
फूलों का मन,
बिछड़ने की पीड़ा,
घुल जाती मिलन के,
खुशी भरे एहसास मे,
दोनो इक जैसे ही दिखते हैं!
No comments:
Post a Comment