उत्कृष्ठ आकांक्षाओं की उत्कंठा,
अति से अतिशय पाने की इक्षाएं,
हर क्षण मधु पीने की अतिशयता,
विश्राम कहाँ देती प्राणों को!
असंतुष्ट इक्षाओं की पराकाष्ठा,
जगाती अतृप्त तृष्णा प्राणों मे,
हर क्षण नया आसमान की उत्कंठा,
विश्राम कहाँ देती प्राणों को!
कुछ क्षण ठहर जा असंतुष्ट मन,
मधु की चाहत, इच्छाओं को तू तज,
शांत कर उत्कंठा, मिल जाएगी पराकाष्ठा,
मिले कुछ क्षण विश्राम प्राणों को।
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