Monday 4 January 2016

वो हो तुम..... !

वो हो तुम..... !

आभामंडल मुखरित,
नयनों मे रतरजिनी,
होठों पर रज पंखुरी,
प्रकाश पुंज आँखों मे,
कंठ में गीत मधु कामिनी,
स्वर में वीणा का कंपन,
तेज सरस्वती सम्।

वो हो तुम..... !

आशाओं के स्वर,
जीवन ज्योत पुंज,
सप्तरागिणी प्रभात की,
तुम नवगति नवलय ताल,
जड़ जीवन के गीत तुम,
जड़ चेतन का प्राण,
स्पर्श मधुमास सम्।

वो हो तुम..... !

No comments:

Post a Comment