Friday 12 February 2016

बेफिक्री के क्षण

स्वच्छंद श्वास हैं, बेफिक्र मन का पंछी पावंदियों से है परे...

उड़ बेफिक्र मन मेरे,
बेफिक्री के स्वच्छंद क्षण साथ तेरे,
रवानियाें मे डूबे ये हर्षित पल जीवन के सारे।

दिल करता है रोक लू मैं,
चपल वक्त के इन बढ़ते कदमों को,
इन्हीं खुमारियों मे बीते क्षण जीवन के ये सारे।

हासिल बेफिक्री आज मुझको,
स्फूर्त बेफिक्री की साँसे समाहित मुझमें,
हृदय के तार-तार स्पन्दित बेफिक्री के क्षण में सारे।

पल-पल मुखरित जीवन के,
साँसों की लय हैं आपाधापी से उन्मुक्त,
बेफिक्री के ये स्वच्छंद जीवन क्षण अब मेरे है सारे। 

उड़ने को मुक्त है ये पर मेरे,
उलझनों से मुक्त जीवन के ये क्षण मेरे,
इक विश्वास हैं, बेफिक्र पंछी क्युँ न ऊँची उड़ान भरे...

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