Monday, 8 February 2016

यूँ ही मिलती रहो हमेशा

मिलती रहो यूँ तुम हमेशा,
चंद खबर तुम अपनी ही कहो,
कुछ मेरी भी सुृधि ले लो।

आती रहो सपनों में हमेशा,
कुछ पल तो दरश तुम्हरी मिले,
कभी तुम मेरी खबर ले लो।

करती रहो मनमानी तुम हमेशा,
बस फासलों से यूँ ही गुजरती रहो,
कुछ क्षण तो यूँ साथ चलो।

गुजरती रहो ख्यालों से हमेशा,
कुछ तारीफ अपनी मुझसे सुन लो,
ख्यालों मे ही सही यूँ संग चलो।

यूँ ही दरमियाँ में रहो हमेशा,
इस जनम फासलों की ही सुन लो,
कभी तुम मेरी फिकर कर लो।

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