Monday, 1 February 2016

आसमाँ का रात्रिजश्न

 दौरे-ए-जश्न मन रहा आसमाँ पे आज रात,
 मद्धिम सी रौशनी छाई नभ पे आज रात,
सितारों का मंद कारवाँ दे रहा मस्त साथ।

निखर गया है आसमाँ चाँदनी की नूर से,
बिखर गई है खुशबु  केवड़े की सुरूर से,
धड़क रहे रात के हृदय रौशनी की नूर से।

चाँद प्रखरित हो रहा मिल के आसमाँ से,
रात मुखरित हो रहा दिल की दास्तान से,
आतुर मिलन को हो रहे दोनो आसमाँ में।

मचल रहे है जज्बात सितारों के नभ संग,
टपक रही है मदिरा ओस की बूँदों के संग,
दौर ए जश्न चलता रहा यूँ सारी रात संग।

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