अनकहे मौन सुनता यहाँ कौन,
शब्दों की लय कहता नहीं मौन।
मौन सृष्टि का परिचायक,
मौन वाणी वसुधा की,
मौन कंठ वेदना के,
मौन स्वर साधक के,
अनकहे मौन सुनता यहाँ कौन,
शब्दों की लय कहता नहीं मौन।
अनसुने स्वर मौन की,
घुट रहे अब अंदर ही अंदर,
बिखर गए स्वर लहरी ये,
सृष्टि की मन के अंदर।
अनकहे मौन सुनता यहाँ कौन,
शब्दों की लय कहता नहीं मौन।
नैन मौन बहते आँसू बन,
हृदय पीड़ सहता मौन बन,
मौन खड़ी पर्वत पीड़ बन,
मौन रमता बालक के मन।
अनकहे मौन सुनता यहाँ कौन,
शब्दों की लय कहता नहीं मौन।
ग्यान साधक के अन्दर मौन,
अग्यानी दूर सोचता मौन,
उत्कंठा, जिग्यासा मौन,
घट घट में व्याप्त मौन,
अनकहे मौन सुनता यहाँ कौन,
शब्दों की लय कहता नहीं मौन।
मौन ईश्वर के स्वर,
मौन प्राणों के प्रस्वर,
मौन मृत्यु के आस्वर,
मौन दृष्टि उस महाकाल की।
अनकहे मौन सुनता यहाँ कौन,
शब्दों की लय कहता नहीं मौन।
No comments:
Post a Comment