तय हो चले, इक उम्र के ये फासले...
संग थे चले, नादान कितने पल,
हो रहे वही पल, फिर जीवंत आज कल,
वो कुछ याद बन रहे, संवाद कर गए,
संवाद-हीन कुछ, याद बन चले!
तय हो चले, इक उम्र के ये फासले...
उस धार में, अथक सी प्रवाह थी,
सपन में पली, इक ज्वलंत सी चाह थी,
जीवंत से चाह, संग प्रवाह बन बहे,
कुछ रहे रुके, याद बन चले!
तय हो चले, इक उम्र के ये फासले...
तन्हा कहाँ, उम्र का ये रथ चला,
वक्त का काफिला, मुझसे खुलके मिला,
ये इक शिरा, तो संग है आज भी,
शिरे वो दूर के, याद बन चले!
तय हो चले, इक उम्र के ये फासले...
ठहरने लगी, है उम्र की ये नदी,
क्षणिक ये पल नहीं, बिताई है इक सदी,
रुकी सी रह गई, कोई पल साथ में,
कुछ पल कहीं, याद बन चले!
तय हो चले, इक उम्र के ये फासले...
खट्टी-मीठी, यादों के वो पल,
हसरतों भरे, कितनी इरादों के वो पल,
मचल से गए, उभर से गए कभी,
तस्वीर में ढ़ले, याद बन चले!
तय हो चले, इक उम्र के ये फासले...
कल हम न हों, पर गम न हो,
समय की साज के, ये गीत कम न हो,
ये नज्म प्यार के, कुछ मेरे पास हैं,
गीतों में कई, याद बन चले!
तय हो चले, इक उम्र के ये फासले...
(सर्वाधिकार सुरक्षित)