Showing posts with label स्वतंत्रता दिवस. Show all posts
Showing posts with label स्वतंत्रता दिवस. Show all posts

Tuesday, 14 August 2018

स्वतंत्रता (900वीं रचना)

लहराकर ये तिरंगा, कर रही है यही पुकार!

सीमाएं हों सुरक्षित, राहें हों बाधा-रहित,
बनें निर्भीक हम, हों सदा निर्विकार,
प्रगति के पथ पर सबका हो अधिकार,
मुक्त सांसों में स्वच्छंद हों विचार,
क्लेश मिटे सबके मन से,
ऐसा हो स्वतंत्र भावों का संचार.....
लहराकर ये तिरंगा, कर रही है यही पुकार!

बौद्धिक विकास हो, सद्गुण का हो संचार,
सुरक्षित हो बेटियां, ना ही हो दुराचार,
मानवता विचरण करे, हो दुर्जन का संहार,
सुरक्षित हों जन-जन के अधिकार,
देश सँवरे, सभ्यता निखरे,
ऐसा ही हो स्वतंत्रता का एहसास...
लहराकर ये तिरंगा, कर रही है यही पुकार!

तीन रंगों में घुलते हों, जन-जन के विचार,
रंग केसरिया, नस-नस में हम लें उतार,
हरे रंग में हो घुले, आचरण और व्यवहार,
हो उजला रंग सा, मन का ये संसार,
इन तीन रंगों से हो होली,
ऐसा ही हो स्वतंत्रता का त्योहार....
लहराकर ये तिरंगा, कर रही है यही पुकार!
सभी को 15 अगस्त की हार्दिक शुभकामनाएं

Saturday, 12 August 2017

15 अगस्त

 ये है 15 अगस्त, स्वतंत्र हो झूमे ये राष्ट्र समस्त!

ये है उत्सव, शांति की क्रांति का,
है ये विजयोत्सव, विजय की जय-जयकार का,
है ये राष्ट्रोत्सव, राष्ट्र की उद्धार का,
यह 15 अगस्त है राष्ट्रपर्व का।

याद आते है हमें गांधी के विचार,
दुश्मनों को भगत, आजाद, सुभाष की ललकार,
तुच्छ लघुप्रदेश को पटेल की फटकार,
यह 15 अगस्त है राष्ट्रकर्म का।

विरुद्ध उग्रवाद के है यह इक विगुल,
विरुद्ध उपनिवेशवाद के है इक प्रचंड शंखनाद ये,
देश के दुश्मनों के विरुद्ध है हुंकार ये,
यह 15 अगस्त है राष्ट्रगर्व का।

ये उद्घोष है, बंधनो को तोड़ने का,
है यह उद्बोध, देशभक्ति से राष्ट्र को जोड़ने का,
है यह एक बोध, स्वतंत्रता सहेजने का,
यह 15 अगस्त है राष्ट्रधर्म का।

 ये है 15 अगस्त, स्वतंत्र हो झूमे ये राष्ट्र समस्त!