Showing posts with label सरस्वती वंदन. Show all posts
Showing posts with label सरस्वती वंदन. Show all posts

Friday, 31 March 2017

कोकिल विधा

कहीं गूंज उठा था कोकिल सा स्वर में,
इक काव्य अनसुना सा कोई,
हठात् रुका था राहों में मैं,
जैसे रुका हो बसंत, कहीं अनमना सा कोई।

कहीं ओझल था वो कोयल नजरों से,
गाता वो काव्य अनोखा सा कोई,
चहुँ ओर तकता फिरता मैं,
जैसे प्यासा हो चातक, कहीं सावन हो खोई।

सरस्वती स्वयं विराजमान उस स्वर में,
स्वरों की रागिनी हो जैसे कोई,
नियंत्रित फिर कैसे रहता मैं,
निरंतर स्वरलहरी जब, पल पल बजती हो कोई।

अष्टदिशाएँ खोई उस कोकिल स्वर में,
इन्द्रधनुषी आभा फैला सा कोई,
खींचता सा जा रहा था मैं,
अमिट छाप जेहन पर, उत्कीर्ण कर गया कोई।

कोई काव्य अनूठी सी रची उस स्वर ने,
अलिखित संरचना थी वो कोई,
पूर्ण कर जाता वो काव्य मैं,
वो विधा वो कोकिलवाणी, मुझको दे जाता कोई।

Saturday, 13 February 2016

सरस्वती वंदन

सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षी विद्यां देहि नमोस्तुते।

सरस्वती  मंत्र 
प्रथमं भारती नाम द्वितीयं तु सरस्वती l 
तृतीयं शारदा देवी चतुर्थ हंसवाहिनी l
 पंचम जगतीख्याता षष्ठं   माहेशवरी तथा l 
सप्तमं तु कौमारी अष्टमं ब्रह्माचारिणी  l 
नवमं विद्याधात्रीनि दशमं वरदायिनी l 
एकादशं रूद्रघंटा द्वादशं भुवनेश्वरी l 
एतानि द्वादशो नामामि य: पठेच्छ्रुणयादपि l 
नच  विध्न भवं तस्य मंत्र सिद्धिकर तथा l

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृताया। वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभि र्देवैः सदा वन्दिता । 
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥

(जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं जिनके हाथ में वीणादण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूरण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें॥1॥)

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्हस्ते 
स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्वन्दे 
तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥

(शुक्लवर्ण वाली, संपूर्ण चराचर जगत्में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से भयदान देने वाली, अज्ञान के अँधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजमान् बुद्धि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा (सरस्वती देवी) की मैं वंदना करता हूँ॥