बिंब है वो, या प्रतिबिम्ब है आप का!
या धुंध के साये तले, ख्वाब है वो रात का!
दबी सी आहटों में, आपका आना,
फिर यूँ, कहीं खो जाना,
इक शमाँ बन, रात का मुस्कुराना,
पिघलते मोम सा, गुम कहीं हो जाना,
भर-भरा कर, बुझी राख सा,
आगोश में कहीं,
बिखर जाना आप का!
बिंब है वो, या प्रतिबिम्ब है आप का!
या धुंध के साये तले, ख्वाब है वो रात का!
अक्श बन कर, आईने में ढ़लना,
रूप यूँ, पल में बदलना,
पलकों तले, इक धुंध सा छाना,
टपक कर बूँद सा, आँखों में आना,
टिम-टिमा कर, सितारों सा,
निगाहों में कहीं,
विलुप्त होना आप का!
बिंब है वो, या प्रतिबिम्ब है आप का!
या धुंध के साये तले, ख्वाब है वो रात का!
दिवा-स्वप्न सा, हर रोज छलना,
संग यूँ, कुछ दूर चलना,
उन्हीं राह में, कहीं बिछड़ना,
विरह के गीत में, यूँ ही ढ़ल जाना,
निकल कर, उस रेत सा,
इन हाथों से कहीं,
फिसल जाना आप का!
बिंब है वो, या प्रतिबिम्ब है आप का!
या धुंध के साये तले, ख्वाब है वो रात का!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
या धुंध के साये तले, ख्वाब है वो रात का!
दबी सी आहटों में, आपका आना,
फिर यूँ, कहीं खो जाना,
इक शमाँ बन, रात का मुस्कुराना,
पिघलते मोम सा, गुम कहीं हो जाना,
भर-भरा कर, बुझी राख सा,
आगोश में कहीं,
बिखर जाना आप का!
बिंब है वो, या प्रतिबिम्ब है आप का!
या धुंध के साये तले, ख्वाब है वो रात का!
अक्श बन कर, आईने में ढ़लना,
रूप यूँ, पल में बदलना,
पलकों तले, इक धुंध सा छाना,
टपक कर बूँद सा, आँखों में आना,
टिम-टिमा कर, सितारों सा,
निगाहों में कहीं,
विलुप्त होना आप का!
बिंब है वो, या प्रतिबिम्ब है आप का!
या धुंध के साये तले, ख्वाब है वो रात का!
दिवा-स्वप्न सा, हर रोज छलना,
संग यूँ, कुछ दूर चलना,
उन्हीं राह में, कहीं बिछड़ना,
विरह के गीत में, यूँ ही ढ़ल जाना,
निकल कर, उस रेत सा,
इन हाथों से कहीं,
फिसल जाना आप का!
बिंब है वो, या प्रतिबिम्ब है आप का!
या धुंध के साये तले, ख्वाब है वो रात का!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा