तलाश-ए-सुखन, ऐ दिल, चल कहीं और!
हवाओं में घुली, ये कैसी है घुटन,
फिज़ाओं में कैसी, घुल रही है चुभन,
ये जुनून, ये चीखें, ये मातम,
कराहते बदन, असह्य मन का ये शोर,
कैसा है दौर, ये कैसा है दौर!
तलाश-ए-सुखन, ऐ दिल, चल कहीं और!
हैरान हूँ बस, इन्सानी अक्ल पे,
भेड़िया हैं वो, इन्सानों की शक्ल में,
नादान नहीं, वो सब हैं जानते,
बस जुनून-ए-सर, आतंक का है ठौर,
कैसा है दौर, ये कैसा है दौर!
तलाश-ए-सुखन, ऐ दिल, चल कहीं और!
बस ये सोचकर, है बेचैन मन,
वो अपनी जान के, खुद हैं दुश्मन,
पिस जाएंगे, शेष निरीह जन,
तड़पाएंगे हमें, टूटी चूड़ियों का शोर,
कैसा है दौर, ये कैसा है दौर!
तलाश-ए-सुखन, ऐ दिल, चल कहीं और!
फिर ना रंगेंगी, सूनी सी मांगें,
यूँ ही जगेगी, शुन्य ताकती आँखे,
रोते कटेंगी, वो जागती रातें,
सिसकियाँ, झिंगुर संग करेगीे शोर,
कैसा है दौर, ये कैसा है दौर!
सह जाएं सब, वो होंगे कोई और,
तलाश-ए-सुखन, ऐ दिल, चल कहीं और!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
हवाओं में घुली, ये कैसी है घुटन,
फिज़ाओं में कैसी, घुल रही है चुभन,
ये जुनून, ये चीखें, ये मातम,
कराहते बदन, असह्य मन का ये शोर,
कैसा है दौर, ये कैसा है दौर!
तलाश-ए-सुखन, ऐ दिल, चल कहीं और!
हैरान हूँ बस, इन्सानी अक्ल पे,
भेड़िया हैं वो, इन्सानों की शक्ल में,
नादान नहीं, वो सब हैं जानते,
बस जुनून-ए-सर, आतंक का है ठौर,
कैसा है दौर, ये कैसा है दौर!
तलाश-ए-सुखन, ऐ दिल, चल कहीं और!
बस ये सोचकर, है बेचैन मन,
वो अपनी जान के, खुद हैं दुश्मन,
पिस जाएंगे, शेष निरीह जन,
तड़पाएंगे हमें, टूटी चूड़ियों का शोर,
कैसा है दौर, ये कैसा है दौर!
तलाश-ए-सुखन, ऐ दिल, चल कहीं और!
फिर ना रंगेंगी, सूनी सी मांगें,
यूँ ही जगेगी, शुन्य ताकती आँखे,
रोते कटेंगी, वो जागती रातें,
सिसकियाँ, झिंगुर संग करेगीे शोर,
कैसा है दौर, ये कैसा है दौर!
सह जाएं सब, वो होंगे कोई और,
तलाश-ए-सुखन, ऐ दिल, चल कहीं और!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा